छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सुनते ही, आज भी हमारा सीना गर्व से चौडा हो जाता है | देश का एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने सर्व प्रथम हमारे देश को ‘स्वराज्य’ का पाठ पढाया | हर मायने से एक उत्तम नेतृत्व की बात की जाए, तो छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम ही सर्वप्रथम आँखों के सामने आता है | छत्रपति शिवाजी महाराज के अनेक गुणों में से एक प्रमुख गुण था, उनका शौर्य, उनकी वीरता | और सही मायने में ये वीरता हम तक पँहुची है, कविराज भूषण के काव्य के माध्यम से |
यदि आपने छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित साहित्य पढा होगा, तो आपने कविराज भूषण का नाम अवश्य ही सुना होगा | आज भी कविराज भूषण का काव्य जिन्हें जुबानी याद है, ऐसे कई लोग हैं | कविराज भूषण ने अपने ग्रंथ शिवा बावनी, शिवराज भूषण, भूषण उल्लास, भूषण हजारा के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य को जीवंत कर हमारे सामने रख दिया, और हमारी और आने वाली पिढी को भी एक अमूल्य खजाना अर्पित किया है | कविराज भूषण ने ब्रज भाषा में अपना काव्य लिखा है | और यग काव्य पढने में कठिन है, लेकिन यही इसकी खूबसूरती है |
आईये आज शिव जयंती के दिन कविराज भूषण के इन ५ काव्यों के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘मानाचा मुजरा’ अर्पित करें….!