उसका दोष इतना ही था कि वो ‘रिंकू शर्मा’ था, अखलाक या जुनैद नहीं

12 Feb 2021 21:03:40

इस देश में जब बात किसी धर्म विशेष की आती है, तो बहुत ज्यादा घुमा के बात की जाती है | लेकिन आज बात सीधी सीधी करते हैं | दिल्ली में केवल ‘राम मंदिर निर्माण निधी संकलन’’ के लिये कार्य करने के कारण और ‘जय श्री राम’ का नारा देने के कारण रिंकू शर्मा नामक एक युवक के घर में कुछ मुस्लिम युवक घुसते हैं, उसके साथ मॉब लिंचिंग की घटना होती है, पीठ में छुरा अंदर तक घुसा कर उसकी जान ले ली जाती है, लेकिन ‘सेक्युलर इंडिया’ का नारा देने वाला हर व्यक्ति शांत है, चुपचाप है, मुंह में दही जमा कर बैठा है | उस युवक का क्या दोष था ? केवल इतना ही कि वो कोई अखलाक या जुनैद नहीं था, होता तो पूरा देश उसके साथ खडा नजर आता |


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रिंकू की माँ राधा शर्मा बताती हैं, कि जब रिंकू को मारने तीस चालीस युवक आये थे, उसे बहुत मारा जा रहा था, तब भी वह जय श्री राम बोल रहा था | जिस देश ने संविधान को जन्म दिया, डेमोक्रेसी को जन्म दिया, उस देश में केवल एक युवक जय श्री राम बोलता है, तो उसे चाकू भोंक कर मार दिया जाता है, लहू लुहान कर दिया जाता है, लेकिन एक सेलिब्रिटी आकर अपना मुँह नहीं खोलता ?

हमारे देश के तथाकथित बुद्धीजीवियों की मानसिकता बहुत ही ज्यादा दोगली है | यदि लिंचींग का पीडित व्यक्ति अखलाक है, या जुनैद है, तो देश में बवाल मचेगा, ट्वीट्स, डीबेट्स, नॅशनल कव्हरेज मिलेगा, लेकिन अगर मॉब लिंचिंग पालघर में भगवे वस्त्र धारी साधुओं की होती है, या रिंकू शर्मा नामक एक ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने वाले व्यक्ति की होती है, तो कोई एक शब्द से कुछ नहीं कहेगा |



बात करते हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की, दादरी में हुए अखलाक के मॉब लिंचिंग के बाद वे उसके घर जाकर परिवार से मिल कर आए, ट्वीट करते हुए “हमारे समाज में यह क्या हो रहा है ? मैं निशब्द हुँ|” इस प्रकार का ट्वीट भी किया, लेकिन जब उन्ही की दिल्ली में रिंकू शर्मा बर्बरता से मार दिया जाता है, तो उन्होंने एक ट्वीट कर संवेदनाएँ जताना आवश्यक नहीं समझा |

Firstpost द्वारा ३० सितंबर २०१५ को प्रकाशित किये गए एक लेख में बताया गया है, कि किस प्रकार अखलाक को बीफ रखने की अफवाह के आधार पर जमाव द्वारा मार दिया गया, मॉब लिंचींग की गई | इस लेख में आपको शेखर गुप्ता, अरविंद केजरीवाल, मिस मालिनी, बरखा दत्त, मार्कंडेय काटजू आदि नामी गिरामी हस्तियों द्वारा किये गए ट्वीट्स दिखेंगे | लेकिन आज ? ना दिल्ली के मुख्यमंत्री ना तथाकथित बुद्धीजीवी, ना पत्रकार कोई आगे आकर इसके खिलाफ कुछ नहीं कहेंगे, क्यों कि मरने वाले का नाम रिंकू शर्मा था, और मारने वालों के नाम मोहम्मद दानिश, मोहम्मद इस्लाम, जाहिद और मोहम्मद मेहताब सामने आए हैं | आप फरक देख सकते हैं, जान सकते हैं | 


आज बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, 'अगर रिंकू का नाम रेहान होता तो उसकी हत्या देश की सबसे बड़ी खबर होती, हर नेता उसके दरवाजे पर होता, रिंकू शर्मा जी की हत्या दिल्ली में ऐसा पहला अपराध नहीं है | अंकित सक्सेना, ध्रुव त्यागी, डॉ नारंग, राहुल, अंकित शर्मा सब को ऐसे ही तो मारा गया, आखिर क्यों? #JusticeForRinkuSharma.

पत्रकार से आप पार्टी के नेता बने आशुतोष ट्वीट करते हैं कि, “दिल्ली पुलिस ने कहा है कि रिंकू शर्मा की हत्या में सांप्रदायिक एंगल नहीं है |” एनडीटीव्ही की वेबसाईट पर न्यूज आती है, “BJP Worker Murdered After Birthday Party, Family Alleges Communal Angle.” और इसी एनडीटीव्ही पर आप सर्च सेक्शन में ‘अखलाक’ ढूँढ कर देखेंगे तो आपको हिंदू मुस्लिम भेद भाव का एक जीता जागता नजारा दिखाई देगा. जहाँ पत्रकार रवीश कुमार अपने एक लेख में कहते हैं, “हर जगह वही कहानी है जिससे हमारा हिन्दुस्तान कभी भी जल उठता है। लाउडस्पीकर से ऐलान हुआ। व्हाट्सऐप से किसी गाय के कटने का वीडियो आ गया। एक बछिया ग़ायब हो गई। लोग ग़ुस्से में आ गए। फिर कहीं मांस का टुकड़ा मिलता है। कभी मंदिर के सामने तो कभी मस्जिद के सामने कोई फेंक जाता है। इन बातों पर कितने दंगे हो गए। कितने लोग मार दिए गए।” आज इन्हीं रवीश कुमार की लेखनी चुपचाप मौन साधे खडी है |

पिछले साल दिल्ली के दंगे याद हैं ? इन दंगों में एक व्यक्ति की बहुत ही बर्बरता से हत्या कर दी गई थी, वो था ‘अंकित शर्मा’, ध्यान रखियेगा ये भी शर्मा थे | दिल्ली की हिंसा में एक आयबी ऑफिसर अंकित शर्मा की हत्या कर दी जाती है, लेकिन आज किसी को उनका पूरा नाम तक याद नहीं रहता | यह हिंसा सीएए, एनआरसी के खिलाफ चल रहे शाहीनबाग आंदोलन के चलते एक समुदाय विशेष द्वारा जानबूझकर भडकाई गई थी | पिछलेसाल दिल्ली दंगों में गोली चलाने वाले शाहरुख और आज रिंकू शर्मा का खून करने वाले मोहम्मद मेहताब या जाहिद में कोई अंतर नहीं है |

रिंकू शर्मा के घर के पास रहने वाली इन दादी का व्हिडियो देखिये…!


दिल्ली में राम मंदिर निर्माण निधी के लिये कार्य करने वाले रिंकू शर्मा को केवल वे भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडे होने के कारण मार दिया गया | उसका कुसूर इतना था कि वह देश के लिये कार्य करने वाली संस्थाओं से जुडा हुआ एक युवा व्यक्ति था | जो घटना हुई उसके बारे में, रिंकू के भाई से आप स्वयं ही सुन लीजिये |


रिंकू शर्मा के लिये आज पत्रकार रोहित सरदाना, लेखिका शेफाली वैद्य, आदि कुछ लोगों को छोडकर कोई भी सामने नहीं आया, ना कोई सेलिब्रिटी, ना कोई बुद्धीजीवी, ना कोई और पत्रकार, ना कोई और फिल्मस्टार | 

आज देश के ये व्हीआयपी समझे जाने वाले बुद्धीजीवी भले ही चुप हों, लेकिन देश की जनता चुप नहीं है, ट्विटर पर हॅशटॅग्स #JusticeForRinkuSharma, #रिंकू_शर्मा ट्रेंड कर रहे हैं | सामान्य जनता सामने आकर रिंकू शर्मा को न्याय दिलाने के लिये अपनी आवाज उठा रही है, और बता रही है, देश सिर्फ सेक्युलरिझम की माला जपने वालों का नहीं तो असल में भारत को धर्मनिरपेक्ष मानने वालों का है | धर्म निरपेक्षता की जिम्मेदारी केवल एक धर्म की नहीं है, उसके लिये सभी को एक जैसा बर्ताव करना होगा, क्यों कि अखलाक और जुनैद की मॉब लिंचींग ब्रेकिंग न्यूज हो सकती है, तो ‘रिंकू शर्मा’ और अंकित सक्सेना की मॉब लिंचींग भी उतना ही घिनौना काम है, और उतना ही ज्वलंत मुद्दा भी | इन दोनों को और इनके जैसे सभी को न्याय दिलाना ही होगा | 

देश में सेक्युलेरिझम का असली मतलब कब समझा जाएगा ? पता नहीं ? और कितने अंकित शर्मा, अंकित सक्सेना और रिंकू शर्मा की हत्याएँ होंगी पता नहीं ? लेकिन इससे पहले कि अगला रिंकू शर्मा आपके घर से हो, जाग जाओ..! अभी भी समय है.. ! 

- निहारिका पोल सर्वटे

 


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