आइये मिलकर बनाते हैं इसे.. 'हॅप्पी लॉकडाउन'

02 Apr 2020 15:12:02

आज हम एक बहोत ही अलग situation में है, दुनिया भर में तेजी से फैल रही बीमारी corona की वजह से अपने-अपने घरों में रहने को मजबूर है, यदि कोरोना संक्रमण रोकना है तो हम सभी को सावधानी बरतना और घरों मे ही रहना बहोत जरूरी है, जिस दिन देशभर में लॉकडाउन की बात हुई सब ऐसे टेंशन मे आ गये कि पता नही अब क्या होगा?


Happy Lockdown_1 &nb

 

अरे ऐसे कैसे 21 दिन हम घर पर रह सकतें है?? हम करेंगे क्या??हमे तो 24*7 भागने की आदत है कोई नोकरीपेशा कोई दुकानदार कोई व्यापारी , सब सकते मे आ गये कि अब हम कैसे रह पाएंगे? स्कूल , कॉलेज के बच्चे , कामकाजी महिलाएं सभी चिंता करने लगे!!!

पर मै बताऊं मुझे ऐसा जरा भी नही लगता कि ये दिन कैसे कटेंगे? बल्कि पहले ही दिन से ये लग रहा है कि इस भाग-दौड वाली जिंदगी से एक ब्रेक तो बनता है यार! चाहे बहाना कोरोना ही क्यों न हो , पर आज उस वजह से ऐसा समय आया है जो हमारी तीन पीढियों ने भी नही देखा होगा!!

दोस्तों जबसे ये दुनिया बनी इंसान कभी शांत नही बैठा , उसने लकडी का पहिया बनाया फिर सोचा अब गाडी बना दूं, बैलगाडी बनाकर मन नही माना तो सायकल बनायी , ऐसा करते करते मोटर गाडी , हवाई जहाज और आज मेट्रो तक पहुंच गया , पर कभी शांत नही बैठा , रूका नही , थमा नही!!

मानती हूं कि आगे बढना अच्छा है , तरक्की करना रोज नया कुछ करना अपने जीवन को सुविधाओं से भर लेना अच्छा है , ये मेहनत और काम का नशा अच्छा है पर यार कभी तो ब्रेक बनता है न!!!

बडी-बडी इमारतें, शॉपिंग मॉल, क्रिकेट ग्राउंड, गाडियां, विदेश यात्रा , मंहगे कपडे , होटल ,पब , डिस्कोथेक , शोर- शराबा , मस्ती , डांस , इन सब में इंसान का कद इतना छोटा हो गया , वो अपनी ही मस्ती में इतना चूर है कि कहां जाना , क्या पाना है ये भूल गया है!! पर यार कहीं तो ब्रेक बनता है!!!

2 साल के बच्चे को स्कूल में डालना है, 5 साल में स्टेज परफॉर्मन्स कराना है , 12 साल में घुडसवारी , स्वीमिंग, गाना सब सिखाना है और 16 साल में बोर्ड परीक्षा में 99% भी लाना है यहीं तक नही तो आगे 20 घंटे रोज पढाई करके विदेश के कॉलेज मे एडमिशन दिलाना है, और ये सब करते हुए वो ये नही जानता कि घर पर कौन-कौन है ? मौसी की शादी कब हुई?मामा का बेटा कब घर पर आया था??क्यूंकि उसे तो केवल पढना है!!


पर यार क्या इस सबसे एक ब्रेक जरूरी नही????

तो दोस्तों मै मानती हूं कि आज हम खुशनसीब है कि हमें ये ब्रेक मिला है, इस ब्रेक की वजह से सिर्फ बीमारी से बचाव नही हो रहा बल्कि हम अपने आप को अपने लोगों को समय दे पा रहें है। ये 24 घंटे की भागदौड ये प्रेशर इस लॉकडाउन की वजह से थोडा तो कम हुआ है!! मानते है कि बाहर परिस्थिती गंभीर है , बचाव की आवश्यकता है , सावधानी बरतना जरूरी है , पर यार ऐसे उदास होकर और मुंह लटका कर दिन बिताने में कोई मतलब नही, इस समय हमे सबका साथ देने की और अपने परिवार के साथ ही अपने रिश्तेदारों और दोस्तों की भी परवाह करने की जरूरत है!!


Happy Lockdown_1 &nb


और एक बात जो मुझे लगती है कि डर कर दिमाग में टेंशन लेकर यदि ये 21 दिन निकाल दिये तो बाद में पछतावा जरूर होगा!!

 


तो आइये हम अपने इस समय को खुशहाल बनाने की कोशिश करें!!!

अच्छा एक मिनिट के लिये सोचिये कि ऐसा आखरी बार कब हुआ था जब आपके पूरे परिवार ने कुछ दिन पूरा समय एकसाथ बिताया हो??दादा-दादी के पास बैठकर किस्से कहानियां सुनी हो या टीवी पर कोई कॉमेडी फिल्म साथ बैठकर देखी हो??

तो ये 21 दिन हम सभी के लिए एक मौका है उन पलों को जी लेने का जो हमने अपने भाग-दौड और मेहनत भरे जीवन के कारण खो दियें है!!!

तो दोस्तों हम इन 21 दिनों को मजेदार बना सकते है , एक दूसरे को वक्त देकर ,साथ रहकर!! हां थोडी चिकचिक होगी, भाई-बहनो मे नोक-झोक होगी , कोई गुस्सा भी होगा फिर कोई मना लेगा , दादाजी टीवी का चैनल बदलने बोलेंगे, मां वक्त पर सोने को बोलेंगी , पर यार इतना तो बनता है , सब साथ रहेंगे तो ये तो होगा ही पर यही खट्टी-मीठी यादें आगे चलकर आपको सुकून देंगी।

आपके अपने जो शहर से बाहर है देश से बाहर है उनसे वीडियो कॉल पर बातें करें, दोस्तो को फोन लगा कर हाल पूछिये!! दादा - दादी के पास बैठकर उनके जिंदगी के मजेदार किस्से सुनें!!

हां मां की मदद जरूर करें क्यूंकि आप सब के साथ उन्हे भी ढेर सारा काम है , घर और ऑफिस संभालना , साथ ही सबका खयाल रखना है। पढने वाले बच्चे ऑनलाइन क्लासेस करें ताकि पढाई का नुकसान ना हो, छोटे बच्चों को खूब मजा-मस्ती करने दें, उनके साथ मिलकर सांपसीढी , लूडो, कैरम , ताश का आनंद उठाएं, टीवी पर रामायण , महाभारत , व्योमकेश बक्शी, सर्कस जैसे पुराने कार्यक्रम पुनः प्रसारित किये जा रहें है , पूरे परिवार के साथ उनका आनंद ले, और अंदाजा लगाइये कि बिना VFX और एडवांस टेक्नॉलॉजी के कैसे बेहतरीन कार्यक्रम बना करते थे, मां और दादी से अच्छे-अच्छे खाने की फरमाइश कीजिये, पर घर का बना शुद्ध खाना खाईये!! हो सके तो अपना एक रूटीन बनाइये जिसमे वर्क आउट को जरूर जगह दीजिये! वक्त ना मिलने के कारण जो भी समय हम परिवार और अपने लोगों के साथ नही बिता पाए, यही मौका है उन पलों को जी लेने का!! सकारात्मक रहिये, अच्छा सोचिये, अच्छी किताबें पढिये!!

खुश रहिये और सबको खुश रखने की कोशिश कीजिये।

मै दावे से कह सकती हूं आप ये 21दिन कभी नही भूल पाएंगे !!!


प्रगती गरे दाभोळकर

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