उसका नाम शाहरुख है, और गोली उसी ने चलाई है !!!
पिछले कुछ दिनों से या यूँ कह लीजिए महीनों से दिल्ली बस नाम का ‘दिल वाली दिल्ली’ रह गया है | मुझे रन मूव्ही का वह डायलॉग याद आता है.. “काहे का दिल्ली भाई, दिल तो है ही नहीं!!!” तो ऐसे इस देश की राजधानी के कुछ हिस्सों में बिना दिल वाले लोगों की दिल दहला देने वाली करतूतों के कारण दिल्ली फिर एक बार चर्चा में है | वैसे तो अमेरिकी राष्ट्रपती ट्रंप दिल्ली आने वाले हैं इस खबर से तो सभी दिल्ली की ओर नजरे गडाए बैठे थे लेकिन कल फिर एक बार कुछ लोगों ने अपनी ‘लेव्हल’ दिखा ही दी | तो दिल्ली के जाफराबाद इलाके में कल सीएए को लेकर फिर एकबार ‘आंदोलन’ आगजनी में बदल गया और एक व्यक्ति ने गोलियाँ चलाई जिसका व्हिडियो भी व्हायरल हुआ | लेकिन बडे बडे चॅनल्स ने उस व्यक्ति का नाम ‘आंदोलनकारी’, ‘सरफिरा’ ‘एक आदमी’ ऐसा ही बताया | तो आज हम आपको उस इंसान का नाम बताते हैं | उसका नाम है “शाहरुख” | नहीं भाई क क क क किरन वाला नहीं, ये दूसरा है | इसका नाम शाहरुख है और गोली इसी ने चलाई है |
तो आपको ये नाम खुल कर क्यूँ नहीं बताया गया? अभी कोई रमेश, राकेश, हरीश, बाबूलाल, चुन्नीलाल कोई भी होता तो ये नाम सारी स्क्रीन्स पर फ्लॅश होता, अभी कोई एसिड अटॅक पीडिता होती, बलात्कार पीडिता होती, तो भी सभी उसका नाम जानते, लेकिन नहीं जी ये तो ऐसा कोई था नहीं, आंदोलनकारी ही था, तो नाम वाम बताने की क्या जरूरत? खासकर तब जब ट्रंप आये हों, और पाकिस्तान से हमारे संबंध अच्छे हैं ऐसा एक वाक्य बोल गये हों, तब ये क्यूँ नाम बताएँगे? हमारे भारत की छवि मलीन जो करनी है, नाम बता देंगे तो बात मजहब पे नहीं आ जाएगी?
खैर हमें क्या? हमें तो मुफ्त की बिजली पानी सब मिल रहा है | शाहीनबाग वाली महिलाओं को और हमको फ्री बस राईड भी मिल रही है, तो हमें इससे क्या? गोली ही तो चलाई ना | लेकिन देखो भाई गलती तो पुलीस की है | अपना काम सही से करेंगे नहीं, तो फिर गोलियाँ तो खाएँगे ना | ना ना आँसू गॅस चलाना नॉट अलाउड हां… हमारे मानवाधिकार के खिलाफ है वो | क्या? डंडे क्यों नहीं बरसाए पुलीस ने ? पागल हो गये हो क्या? डंडे बरसा कर हमारे मानवाधिकार का वे हनन करते तो हम एके ४७ से भून देते उन्हें, हमें अभिव्यक्ती की आजादी जो है |
पढा ऊपर जो लिखा है? अच्छे से पढा ना? आँखें खोल के? और यदि फिर भी नहीं जागे तो मर चुके हो तुम.. !!!
पुलिस कॉन्स्टेबल रतन लाल की मृत्यु से सब दु:खी हैं, केवल दु:खी ही नहीं तो गुस्से में भी हैं, चिढें हुए हैं, लेकिन कोई भी बंदूके लेकर गया नहीं | शायद जाना चाहिये था, लेकिन नहीं… ये सब सही नहीं है पता है इसीलिये | अच्छा ही हुआ रतनलाल का नाम सबको पता चल गया, लेकिन अब रतनलाल के साथ साथ शाहरुख का नाम भी सभी को पता होना बहुत जरूरी हो गया है | क्यों कि 'अखलाक' की मॉब लिंचिंग थी और रतनलाल के साथ जो हुआ बस बुरा हुआ.. और कुछ नहीं??
पता चलने दो ये बात केवल मजहब की नहीं है, उसकी आड में बन रही, पल रही एक साजिश की है | पता चलने दो बात केवल हिंदु मुस्लिम भाई भाई की, सर्व धर्म समभाव की नहीं, इस बात का फायदा उठा कर चंद लोगों के देश को मिटाने के मंसूबों की है | पता चलने दो आज बात आपकी मेरी नहीं तो एक ऐसे भारत देश की है जो राष्ट्रहित पर विश्वास करता है | इसलिये… हम आपको बता रहे हैं.. कि देखो एक बार, आँखे खोल कर देखो और जागो.. क्यों कि अब भी नहीं जागे तो मर चुके हो तुम !!!!
- निहारिका पोल सर्वटे