क्या अब #BrahminLifematters ट्रेंड करेगा ?

09 Oct 2020 19:22:31

वैसे तो देश में जाति पाति की कोई जगह होनी ही नहीं चाहिये | लेकिन फिर भी देश में अभी जो हो रहा है, उसकी ओर सभी का ध्यान खींचना आवश्यक आहे | जब भी इस देश में कोई भी जुर्म होता है, देश का एक हिस्सा सबसे पहले ये देखता है कि जिसके साथ हादसा हुआ उसका धर्म क्या था, जाति क्या थी ? यदि उनके मुताबिक उत्तर मिला, तो वे इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं, और यदि नहीं तो शांत बैठ जाते हैं, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं | आज राजस्थान में एक मंदिर के पुजारी को जिंदा जला दिया गया, ६ लोगों के द्वारा | साधारणत: यहाँ पर जाति का उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन फिर भी जब हर बार जात पात का उल्लेख होता है, तो बता दें कि हमला करने वाले सभी ६ लडके विशिष्ट जाति से थे, और जिंदा जला दिये गए पुजारी ‘पंडित’ थे | आप देख रहे हैं ना जात पार का गहरा समुंदर ?

brahminlife_1  

राजस्थान के ‘करौली’ के पास एक मंदिर की विवादित जमीन को लेकर दो पक्षों में वाद विवाद था | इसी झगडे के चलते, एक पक्ष के ६ लडकों नें आकर मंदिर के पुजारी पर पेट्रोल डालकर उन्हें जिंदा जला दिया | पुजारी का नाम बाबूलाल बताया जा रहा है | 

कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के पालघर में भी ऐसा ही हुआ था, जब दो मासूम संत महात्माओं को मॉब लिंचींग कर मार दिया गया | तब भी समाज का ये एक हिस्सा खामोश था | आपको याद है हाल ही में अमेरिका में जॉर्ज फ्लोईड नामक एक अश्वेत अमेरिकन व्यक्ति की वहां के पुलिस ने घुटने से गला दबाकर हत्या कर दी गई थी | तब #BlackLivesMatters काफी प्रसिद्ध हुआ था | और पूरी दुनिया में बहुत बडे पैमाने पर प्रोटेस्ट हुए थे | पालघर और राजस्थान में घटी घटनाओं को देखकर एक प्रश्न मन में अवश्य उठता है कि क्या #BrahminLifematters भी ट्रेंड करेगा ? क्या लोगों का सहभाग इसमें भी इतना ही रहेगा ? या इसे केवल इसलिये अनदेखा करदिया जाए कि मारने वाले एक विशिष्ट जाति के लोग थे और मरने वाला एक विशिष्ट जाति का ? 

या फिर भारतवासी होने के तौर पर हमें तब तक ‘सहिष्णुता’ दिखानी पडेगी, जब तक पीडित व्यक्ति का नाम‘आसिफा’ ना हो, या फिर वो व्यक्ति किसी एक विशिष्ट जाति का ना हो ? या मारने वाला व्यक्ति ठाकुर या फिर ब्राम्हण ना हो | हम कब तक जुर्म करने वाले व्यक्ति की जातपात देख कर ये सोचेंगे कि विरोध किया जाए या ना किया जाए ? 

जो गए उनकी गलती केवल इतनी थी कि वे संत थे, पुजारी थे, उनका नाम आसिफ या अशरफ नहीं था, उनका संबंध किसी एक जाति विशेष से ना होकर दूसरी जाति विशेष से था | यह एक भयंकर सत्य है, लेकिन हम इसे जितनी जल्दी मान लें, उतना हमारे लिये अच्छा होगा | सहिष्णुता की जिम्मेदारी की उम्मीद केवल एक वर्ग विशेष से क्यों की जाए, क्या सहिष्णुता दिखाने की जिम्मेदारी हर किसी को नहीं लेनी चाहिये ? जैसे कि #BlackLifeMatters #DalitLifeMatters #MuslimLifeMatters बस वैसे ही #HinduLifematters #BrahminLifeMatters #AllLivesMatters 

समय कठिन है | आज एक मॅसेज पर बवाल खडे हो जाते हैं | ऐसे में भारत जैसे देश में एक मंदिर के पुजारी को जिंदा जला दिया जाता है, और देश खामोश है | ना कोई ट्रेंडिंग हॅशटॅग, ना कोई प्रोटेस्ट ना कुछ | आप ही समझ जाईये कि समाज किस तरह से दो हिस्सों में बँटा है | आपको तय करना है आप किस हिस्से का हिस्सा बनना चाहेंगे |

- निहारिका पोल सर्वटे 
Powered By Sangraha 9.0