हर बार ‘रेप’ की बात पर ही क्यों छिडता है ‘पॉलिटिकल बवाल’ ?

06 Oct 2020 18:52:02

‘हाथरस’ में जो भी हुआ, भयंकर था, मानवता को कालिमा पोतने वाला था, और मनुष्य के मनुष्यत्व पर लगा एक बडा सा धब्बा था | ऐसे में नन्हीं बच्ची के साथ जो हुआ, उसके गुनहगारों को सजा दिलाने के बजाए, हर पार्टी के नेता, पुलिस और प्रशासन अपने आप को बचाने और बेतुकी बयानबाजी करने में लगा है, इससे ना पक्ष चूका है और ना ही प्रतिपक्ष, सवाल यह उठता है कि हर बार ऐसी कोई घटना होती है तो और तो ही पॉलिटिकल बवाल क्यों होता है, ऐसे में हमारी गिद्ध मानसिकता और राजनीति का एक घिनौना प्रदर्शन दिखाई देता है |

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उत्तरप्रदेश के हाथरस में १९ वर्षीय बालिका के साथ गांव के ही ४ लडकों ने मिलकर बलात्कार किया | उसकी रीढ की हड्डी तोड दी गई, उसकी जीभ काट दी गई, इससे भयानक कुछ और सोच सकते हैं आप? वो सब उसके साथ हुआ | पुलिस वालों से लेकर प्रशासन तक, औप नेता पक्ष - विपक्ष से लेकर सामान्य जनता तक सभी ने इस बेटी की चिता पर अपनी रोटियाँ सेंकी, किसी को भारतीय जनता पार्टी को खरी खोटी सुनाने का मौका मिल गया, तो किसी को काँग्रेस काल में हुई ऐसी घटनाओं को याद दिलाने का, लेकिन किसी ने भी उस बेटी के परिवार, आस पास के लोगों के मन में बसी दहशत और उसकी माँ के विलाप के बारे में नहीं सोचा, जो गुहार लगा रही थी, कि उसकी बेटी की विदाई उसके घर की चौखट से होने दो |

यहाँ हर कोई गुनहगार है, वे लडके जिन्होंने यह जघन्य अपराध किया, वो पुलिस वाले जिन्होंने बलात्कार होने की बात को नकारा, आधी रात में लडकी की चिता जला दी, वो नेता जो ‘लडकियों को ध्यान रखने’ की सीख दे रहे थे, और वो मीडिया कर्मी इस केस में ‘बलात्कार’ की घटना को ‘हायलाइट’ ना करते हुए बालिका कि ‘जाति’ को हायलाइट कर रहे थे | वे सभी किसी गिद्ध से कम नहीं |

ये बात सच है कि आज भी हमारे समाज में जातिप्रथा है, ये बात सच है कि ऐसे कई अपराध जाति के आधार पर होते हैं, लेकिन जब इस जाति का उपयोग ‘पॉलिटिकल अजेंडा’ के रूप में होता है, तो वह कतई गलत है | आपको हैदराबाद की प्रियंका की कहानी याद होगी, आपको सोनभद्र की प्रिया कि कहानी भी याद होगी, जिसे ‘लव्ह जिहाद’ के चलते मार दिया गया था | लेकिन जब ये नेता और ये मीडिया के लोग किसी एक घटना का उपयोग पॉलिटिकल एजेंडा के रूप में करते हैं, और किसी दूसरी घटना पर चुप्पी साधते हैं, तो हमें वह गलत लगता है |

बात कडवी है लेकिन सच है | उस बालिका की जलती चिता एक घिनौने समाज पर प्रकाश डाल कर गई है | जो आज भी बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को भी पॉलिटिकल अजेंडा के रूप में देखता है | उसके गुनहगार सभी हैं… चाहे वो कोई भी पार्टी हो.. चाहे वो कोई भी मीडिया चॅनल हो या चाहे वह कोई भी ऐसा व्यक्ति हो जो सोशल मीडिया पर अपनी विचारधारा के समर्थन के लिये, या दूसरे की विचारधारा को नीचा दिखाने के लिये इस घटना का उपयोग किया है |

वो तो गई.. पीडा सह कर गई, तडप कर गई.. लेकिन उसके जाने से यदि हमारी रूह ना काँपी हो, तो एक समाज के तौर पर हम मर चुके हैं !!!!


- निहारिका पोल सर्वटे


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