पूरे देश में पिछले कुछ दिनों से नागरिका संशोधन अधिनियम को लेकर काफी चर्चा हो रही है | केवल चर्चा ही नहीं तो बहुत अधिक संख्या में लोग सडकों पर उतर कर प्रदर्शन भी कर रहे हैं | इन प्रदर्शनों में सबसे ज्यादा सहभाग किसी का दिखाई पड रहा है, तो वो है देश के भविष्य देश के विद्यार्थियों का और यदि सबसे ज्यादा इसमें कोई इन्फ्लूएंस हुआ है तो वो भी ये विद्यार्थी ही हैं |
कई न्यूज रिपोर्ट्स स्टडी करने के बात एक बात ध्यान में आई है कि, अधिकांश विद्यार्थियों को पता ही नहीं है कि वे किस लिये इस प्रोटेस्ट में उतरे हैं | शायद पिअर प्रेशर के कारण या शायद सोशल मीडिया पर चल रहे वर्चुअल प्रोटेस्ट की तरफ आकर्षित होकर ये स्टूडेंट्स यहाँ आए हैं, और आंदोलन कर रहे हैं | कहते हैं “अधजल गगरी छलकत जाए..” शायद कुछ ऐसा ही हो रहा है ?
यहाँ सबसे पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम क्या है? : पहली बात ये कानून आज नहीं बना है, ये कानून बहुत पुराना है इसमें ताजा संशोधन २०१९ में हुआ है | नागरिकता संशोधन अधिनियम २०१९ के अनुसार भारत के तीन पडोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में ३१ दिसंबर २०१४ के पहले भारत में आये ६ अल्पसंख्यांक समुदाय हिंदु, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी जिन्हें धार्मिक आधार पर प्रताडित किया गया हो, उन्हें भारत में नागरिकता दी जाएगी | नागरिकता नियमों के अनुसार दी जाएगी |
क्या ये कानून इन देशों से आये मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिकता देने से मना करता है? नहीं !!!
कोई भी व्यक्ति जो बाहर के देश से भारत में आया है, यदि वह एलिजिबल है और फॉरेनर्स एक्ट १९४६ और पासपोर्ट एक्ट १९२० के नियमों का पालन करता है, भारत में नागरिकता के लिये अप्लाय कर सकता है | पिछले कयी वर्षों में भारत ने बहुत से मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारत की नागरकिता दी है | तस्लीमा नसरीन, अदनान सामी इसके बडे उदाहरण हैं | फिर प्रश्न उठता है कि केवल इन्हीं ६ समुदायों का नाम इस संशोधन में क्यूँ | तो इन तीन देशों में ये ६ समुदाय अल्पसंख्यांक हैं, और दिन ब दिन उनकी संख्या घटती जा रही है | धर्म के आधार पर उन पर उत्पीडन हुआ है इसलिये उनका नाम इसमें शामिल है | इस्लामिक देशों में मुस्लिम समुदाय अल्पसंख्याकों की श्रेणी में नहीं आता इसलिये अलग से उसका नाम इसमें शामिल नहीं किया गया | लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि मुस्लिम समुदाय के नागरिकों को नागरिकता नहीं दी जाएगी | वे बेखौफ नागरिकता के लिये अर्जी दे सकते हैं, यदि वे एलिजिबल हैं तो उन्हें अवश्य नागरिकता मिलेगी |
आपको अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिये दस्तावेज देना पडेगा ? या दस्तावेज ना देने पर आपको इस देश से निकाल दिया जाएगा :
ये एक फैलायी गयी अफवाह है, इसमें सत्य का कणमात्र भी नहीं है | इस कानून में दस्तावेज देने संबंधी कोई भी प्रावधान नहीं हैं | यदी आप भारतीय हैं, तो आपको डरने की आवश्यकता नहीं है, और आपको कोई भी दस्तावेज नहीं मांगे जाएँगे | रही बात देश से निकालने की, ऐसा कोई भी प्रावधान इस कानून में नहीं है | हर देश की सुरक्षा के लिये कुछ नियम और कानून होते हैं | फॉरेनर्स एक्ट १९४६ और पासपोर्ट एक्ट १९२० के अंतर्गत यदि भारत में कोई अवैध तरीके से घुसे या भारत में स्थापित हो तो उसके विरुद्ध कारवाई करने का अधिकार भारत को है | लेकिन नागरिकता संशोधन कानून का इससे कोई लेना देना नहीं है |
इन सब बातों को समझते हुए लगता है, क्या हम सचमुच हर फॅक्ट से हर बात से Aware हैं? क्या हमारे opinions हमारे मत हमारी जानकारी पर बेस्ड हैं, या फिर हमारे ये मत किसी और के मतों पर आधारित हैं? स्वरा भास्कर, फरहान अख्तर, सना गांगुली ऐसे सेलेब्स के मतों पर हमारा मत आधारित है, या हमारी पढाई पर? आप जरूर सोचें. पहले जान लें समझ लें और फिर तय करें प्रोटेस्ट करना है या नहीं? और यदी करना भी है तो क्या हिंसा सही रासता है? सोचें और फिर निर्णय लें.
- निहारिका पोल सर्वटे