जब एक बार सातवीं कक्षा के रोहित से पूछा गया कि तुम्हारा पसंदीदा विषय कौन सा है, उसने हँसते हुए जवाब दिया, विज्ञान | पूरी कक्षा हैरान रह गई | गणित और विज्ञान भी भला किसी के पसंदीदा विषय हो सकते हैं ? सभी बच्चों के मन में यही प्रश्न उपस्थित हुआ | जब मास्टर जी ने पूछा कि रोहित, तुम्हें विज्ञान क्यों पसंद है, तो उसने कहा, मुझे विज्ञान से बहुत कुछ सीखने को मिला है | बच्चे फिर अचंभित थे, मास्टर जी ने फिर पूछा, कि तुम्हें विज्ञान से ऐसा क्या सीखने मिला सभी को बताओ, तब रोहित ने बडा ही अनोखा जवाब दिया |
मुझमें नया कुछ करने की चाह विज्ञान ने जगाई है, मुझे अनुशासन विज्ञान ने सिखाया है, क्यों कि विज्ञान तो बिना नियमों के चलता ही नहीं है | मुझमें उत्सुकता विज्ञान ने जगाई और साथ ही मुझे तार्किक विचार करना (प्रॅक्टिकल सोच रखना) विज्ञान ने सिखाया है | सातवीं कक्षा के बच्चे का इस तरह से जवाब देना मास्टर जी को भी बडा ही रोचक लगा | लेकिन रोहित ने सच ही कहा ना ? हम विज्ञान को अक्सर महज किसी एक विषय के रूप में देखते हैं | नियम याद कर, पाठ्यपुस्तक की चार बातें समझ कर अच्छे अंक लाना ही हमारा मुख्य उद्येश्य होता है, लेकिन हम अपनी सोच रोहित की तरह रखें तो ? विज्ञान से रोजमर्रा की जिंदगी की ये चार बातें बच्चें बचपन से सीखते हैं, जो उन्हें बडे होकर काम आती हैं |
तो कौन सी हैं ये चार बातें ?
१. उत्सुकता : क्या आपको नहीं लगता की, अच्छा जीवन जीने के लिये उत्सुकता की आवश्यकता होती है ? होती है ना ? ये उत्सुकता बचपन से ही हमें विज्ञान सिखाता है | जैसे कि, दो रंगों के मिलने से नया रंग कौन सा बनेगा ? यदि धरती गोल है तो क्यों है ? चांद धरती से कितनी दूर है ? ये सारे प्रश्न बचपन में हमारे मन में उपस्थित हुए ही होंगे | और इसके उत्तर विज्ञान बताता है | विज्ञान मन में उत्सुकता जगाता है, जो एक नये आविष्कार की जनक होती है | बच्चें विज्ञान से बचपन में ही ये उत्सुकता सीखते हैं, जो आगे जाकर उनके बहुत काम आती है |
२. तार्किक सोच : आज के कठिन जीवन को जीने के लिये कई बार केवल भावनात्मक सोच रखकर नहीं चलता, साथ ही साथ तार्किक सोच का होना भी अत्यावश्यक है, जो हममें बचपन से ही विज्ञान विकसित करता है | विज्ञान का आधार तर्क है, बच्चों को हर कृति के पीछे का तर्क पता हो, तो उसका अंजाम क्या होगा ये भी पता होता है, अत: तार्किक सोच का विकास करने में विज्ञान बहुत मदत करता है |
३. समस्या को सुलझाने की क्षमता : विज्ञान के कारण बचपन से ही बच्चों में सायंटिफिक थिंकिंक का विकास होता है, जो आगे जाकर बच्चों को किसी भी समस्या को सुलझाने के लिये मदत करती है, विज्ञान से बच्चों की समस्या सुलझाने की क्षमता, विचार करने की क्षमता में विकास होता है | जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण लाईफ स्किल है |
४. उचित प्रश्न मन में उठना : विज्ञान के माध्यम से बच्चों के मन में प्रश्न उठते हैं, और वे उनका समाधान ढूँढने की कोशिश स्वयं करते हैं, जो आगे जाकर किसी एक बडे आविष्कार का आधार भी बन सकता है | कई ऐसे स्टार्टअप्स हैं, जो एक प्रश्न से शुरु हुए हैं, और आज उनका समधान खोजते खोजते बडे से बडे आविष्कार के जनक बने हैं, ये आगे जाकर बच्चों के भविष्य के लिये सफलता के कई दरवाजे खोल सकता है |
इन्हीं सारी बातों को ध्यान में रखते हुए विज्ञान भारती और विज्ञान प्रसार के माध्यम से छठवीं से बारहवीं कक्षा के बच्चों के लिये इस वर्ष भी विद्यार्थी विज्ञान मंथन यह अपने तरह की ही सबसे बडी ओपन बुक परीक्षा लेकर आ रहे हैं | इस परीक्षा के विजेता विद्यार्थियों को भारत की नामांकित संस्थाएँ जैसे, इस्रो, बीएआरसी और डीआरडीओ में ट्रेनिंग और इंटर्नशिप का मौका भी मिलेगा | इस परीक्षा के लिये रजिस्ट्रेशन खुल चुके हैं |
आप इस लिंक पर जाकर रजिस्टर कर सकते हैं |
रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथी ३१ अक्तूबर २०२१ है |