लडकियों की इज्जत करें, लेकिन उन्हीं की जो ये डिजर्व करती हो…!

    03-Aug-2021
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सेक्शन 375 फिल्म का एक डायलॉग है, “Don’t respect every girl, Only respect those who deserves it.” आज यह डायलॉग बडा ही सच होता नजर आ रहा है. कल लखनऊ में एक लडकी ने भरे चौराहे पर बिना किसी गलती के एक कॅब ड्राईव्हर को 22 झापड लगाए. ड्राइव्हर रेड लाईट पर रुका था, ना तो उसने लडकी को टक्कर मारी ना कुछ किया, लेकिन फिर भी लडकी झडप पडी और उसे 22 झापड मारे. व्हिडियो व्हायरल होनने पर आज सारा देश इस लडकी को देख रहा है, और ट्विटर पर इस लडकी के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं.


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आज ट्विटर पर ढेर सारे लोगों ने फेक फेमिनिझम का नाम लेते हुए यह व्हिडियो शेअर किया है, क्यों कि हमेशा लडकियों की इज्जत की बात की जाती है, उन पर हाथ उठाने वाले के खिलाफ बात होती है, उनके लिये इंसाफ की बात होती है, लेकिन कोई भी उस वक्त आवाज नहीं उठाता जब गलती लडकी की हो. और ये भी गलत ही है, इसे जेंडर इक्वेलिटी नहीं कहा जाएगा.


आप खुद ही सोचिये, यदि उस वक्त तैश में आकर उस कॅब ड्राइव्हर ने उस लडकी पर हाथ उठा दिया होता तो? तब क्या होता? पूरी जनता आकर उसे बिना सोचे समझे मारने लगती, मुद्दा सारा इस बात पर आकर रुक जाता कि, तुमने लडकी पर हाथ उठाया ही कैसे?, लेकिन इस व्यक्ति को बचाने उस वक्त कोई नहीं आया, लोग खडे होकर व्हिडियो बना रहे थे, लेकिन किसी ने भी लडकी को रोकने की कोशिश नहीं की. क्या यही है? सही मायने में जेंडर इक्वेलिटी?


इससे पहले भी एकबार झोमॅटो के एक डिलिव्हरी बॉय के साथ एक लडकी ने ऐसा ही किया था. खुद की गलती के कारण उसे नाक पर चोट लगी थी, लेकिन उसने सारा इल्जाम झोमॅटो के बंदे पर लगाकर एक व्हिडियो पोस्ट किया था. तब भी इसी तरह फेक फेमिनिझम के नारे लग रहे थे.

ये गलत है, सरासर गलत है. मारपीट किसी के भी साथ हो वो गलत है, और कोई भी करे वो भी गलत है. और जितनी जल्दी हम से समझ जाएं, उतनी जल्दी हम एक सही समाज बनने की दिशा में चल रहे होंगे.