क्या आपको वो दौर याद है या उसके बारे में पता है? जब देश में पहली बार मंडल आयोग आया था ? , आरक्षण पर बहस छिडी थी? आरक्षण की मांग में कई छात्रों नें अपने आप को जला तक लिया था ? उस वक्त के बाद से भारत में आरक्षण लागू हुआ, और भारत का नक्षा ही बदल गया, जहाँ एक ओर ये आरक्षण कुछ लोगों के लिये, समाज के कुछ वर्गों के लिये जीवनदान साबित हुआ, वहीं इसी आरक्षण के कारण कई लोगों का जीवन बरबाद भी हुआ जिसका मुख्य कारण था ये आरक्षण जाति के आधार पर था आर्थिक आधार पर नहीं.
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेडिकलऔर डेंटल के सभी पाठ्यक्रमों के लिये ओबीसी समाज को 27% और जनरल कॅटेगिरी को 10% का आारक्षण घोषित किया है, जिसके बाद एक ओर तो इस निर्णय का स्वागत हो रहा है, तो दूसरी ओर आक्रोश.
मोदी सरकार ने अपने दूसरे टर्म में जनरल कॅटेगिरी में 10 प्रतिशत का आर्थिक आधार पर आरक्षण घोषित किया, जिससे सभी को खुशी तो हुई, मगर बाकी की तुलना में देखा जाए तो ये बहुत कम था, ऐसे में आज मोदीजी द्वारा आरक्षण पर चर्चा करने के बाद फिर एक बाद ट्विटर पर आरक्षण को लेकर बहस छिड गई है. लोगों का कहना है कि जाति पर आधारित आरक्षण को जड से हटा देना चाहिये, और संपूर्ण आरक्षण अब आर्थिक आधार पर होना चाहिये.
बात में दम तो है, लेकिन क्या भारत के समाज को लगी जाति की दीमक इतनी जल्दी हटेगी ? क्या आरक्षण का गलत फायदा उठाने वाले लोगों को कभी भी इस बात की सजा भुगतनी पडेगी ? क्या जिसे सचमुच आरक्षण की आवश्यकता है, उस तक सही मायने में ये आरक्षण पँहुच पाएगा ? कई सारे सवाल है, जो भारतीय युवाओं को परेशान कर रहे हैं, अब आप ये ट्वीट्स ही देख लीजिए.