क्या केवल एक ही दिन है गुरु को याद करने का ?

    24-Jul-2021   
|

आज गुरुपूर्णिमा है. आज का दिन गुरु को याद करने का, गुरु को नमन करने का दिन है| लेकिन अपने आप से पूछ कर देखिये, क्या ये एक ही दिन है, गुरु को याद करने का? हम अक्सर उनसे सीख तो लेते हैं, लेकिन उन्हें नमन करने के लिये हमें शिक्षक दिवस या गुरु पूर्णिमा के दिन का इंतेजार करना पडता है | लेकिन क्या इस एक दिन पर ही हमेंं गुरु की महिमा का बखान करना चाहिये ?


Guru Pornima_1    

हम बचपन में बिना किसी गुरु पूर्णिमा या फिर शिक्षक दिवस के भी आरुणि की गुरुभक्ति की कहानियाँ पढते थे, हमें एकलव्य की गुरुभक्ति की कहानी बचपन से ही सिखाई गई थी | गुरूपूर्णिमा अवश्य एक दिन होता है, जब आप अपने गुरु को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हैं, आप अपने गुरुओं के प्रति गुरुदक्षिणा अर्पित करते हैं, और आप अपने गुरुओं के लिये कुछ अच्छा करने का प्रयत्न करते हैं, लेकिन ये गुरुभक्ति हमें सालभर, हर साल हर वक्त अपने मन में रखनी चाहिये.

इसके लिये, आप अपने दैनंदिन जीवन में भी अपने गुरुओं का सम्मान कर उन्हें हर दिन गुरुपूर्णिमा का आनंद दे सकते हैं :

१. अपने गुरुओं का आदर करना कभी ना भूलें : आजकल अक्सर कई लोगों के साथ देखा गया है, कि उनका हाथ पकड कर उन्हें सिखाने वाले गुरुओं से शिष्य जब आगे निकल जाते हैं, तो वे उनका सम्मान करना भूल जाते हैं | उन्हें अपने यश का गौरव इतना होता है, कि वे भूल जाते हैं, कि इस यश और सफलता के संसार से उनके गुरुओं ने ही उन्हें अवगत कराया था, वे “गुरु गोविंद दोऊ खडे कांके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए” ये पंक्तियाँ भूल जाते हैं | अत: ऐसा ना कर हमेशा यह याद रखना चाहिये, कि आप आज जहाँ भी हैं, वे उन गुरुओं के बिना कभी संभव नहीं हो पाता. गुरु का होना आपकी सफलता की पहली सीढी थी, यदि वो आप ना चढते तो आप यहाँ पर होते ही नहीं | गुरु का आदर करना ना भूलें |

२. अपने गुरुओं से संपर्क में रहें: समय बदल गया है, इतना कि आज ये कहना पड रहा है | लेकिन देखिये ना परिवेश के बदलने पर मानसिकताओं में भी बदलाव आता है | कई बार हम अपने जीवन में इतने व्यस्त हो जाते हैं, कि हमें हमारे गुरुओं की याद केवल शिक्षक दिवस या गुरु पूर्णिमा पर ही आती है | वैसा ना करते हुए हमें गुरुओं के सतत संपर्क में रहना चाहिये, शायद हमारे गुरुओं को हमारी आवश्यकता हो सकती है, वे कभी कहेंगे नहीं, लेकिन यदि आप संपर्क में ही नहीं रहेंगे, तो आप समझ भी नहीं पाएँगे, अत: गुरुओं के सदैव संपर्क में रहें | उन्हें ये अहसास दिलाएं की आप चाहे कितने भी बडे क्यों ना हो जाएँ, आपके गुरु आपके लिये सदैव महत्वपूर्ण रहेंगे |

३. अपने गुरुओं की बात कभी ना टालें / उनकी दी हुई शिक्षा कभी ना भूलें : अक्सर समय के साथ बचपन में अपने टीचर्स से, गुरुओं से सीखी बातें हम भूलने लगते हैं | बचपन में हर बच्चे के लिये उसकी टीचर का कहा ही सर्वोपरि होता है, लेकिन जैसे जैसे हम बडे होते हैं, हम वो भूलते चले जाते हैं | फिर जिंदगी के किसी पडाव पर याद आता है, कि मेरे गुरु ऐसा कहा करते थे, काश मैं मान लेता | ऐसा ना हो इसलिये गुरु के आदर के चलते उनका कहा कभी ना टालें साथ ही उनकी दी हुई शिक्षा कभी ना भूलें, सदैव याद रखें, आपके गुरु आपके लिये कभी बुरा नहीं चाहेंगे |

आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सभी गुरुजनों को अभिवादन तो है ही, साथ ही इस लेख के माध्यम से हम उन्हें यकीन दिलाना चाहते हैं, कि गुरुओं का आदर करने के लिये हम किसी एक दिन विशेष की प्रतीक्षा नहीं करेंगे, हम हर दिन उनका आदर और सम्मान करेंगे |

गुरु पूर्णिमा पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ, और सभी गुरुजनों को प्रणाम.

- निहारिका पोल सर्वटे