ये ५ किताबें, जो बदल देंगी आपका नजरिया…! जरूर पढें…!

    29-Jun-2021
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कहते हैं किताबें दोस्त होती हैं | कईयों की जिंदगी में तो शायद दोस्तों की कमीं हो मगर किताबों की नहीं होती | सफदर हाशमी की वो कविता याद है ?


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“किताबें कुछ कहना चाहती हैं, 
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं
                                                                          किताबें करती हैं बातें..!” 

क्या सही लिखा है ना उन्होंने ? कुछ किताबें ऐसी हां, जिनको पढने के बाद से लोगों के सोच में बदलाव आया है, और इस बदलाव ने उनके रिश्तों में और उनकी जिंदगी में भी बदलाव लाया है | किताबें बहुत सारे अनुभवों के किस्से होती हैं | फिक्शनल किताबें आपको “कल्पना” करना सिखाती हैं, तो सच्चाई पर आधारित किताबें, आपको सही गलत का फैसला करने में मदत करती हैं, और दूसरों के अनुभवों से बहुत कुछ सिखाती हैं | हमारे देश में कई सारी भाषाएं होने के कारण इन भाषाओं का साहित्य भी बहुत बडा है | और इसी लिये हम और भी अधिक भाग्यवान हैं | तो आज हम ऐसी ५ किताबों की बात करेंगे, जिन्होंने लोगों का नजरिया बदल दिया है | 

आईये देखते हैं, कौन सी हैं ये किताबें ? 

१. द पावर ऑफ हॅबिट्स : क्या आप जानते हैं इंसान के मस्तिष्क में आदतें कैसे बनती हैं? यदि इंसान की सारी यादें मिट जाएँ, याने कि मेमरी लॉस हो जाए फिर भी कुछ पुरानी आदतें उसके साथ रहती हैं, और नई आदतें भी बनती चली जाती हैं | ये मैं नहीं चार्ल्स डुहिग कह रहें हैं, अपनी किताब पावर ऑफ हॅबिट्स के माध्यम से | अक्सर हम कहते हैं, उसकी तो आदत है, जाने दो, या ऐसी कैसी आदत है भाई बदलो इसे, इत्यादि, लेकिन ये आदतें बनती कैसे हैं, क्या हम बुरी आदतों को छोड सकते हैं, यदि हाँ तो इसमें वक्त क्यों लगता है, कैसे लगता है इत्यादि हर छोटे बडे सवाल का जवाब इस किताब में मिल जाएगा | अब तक हम कई बातों का दोष अपनी आदतों पर मढ देते थे, लेकिन ये किताब पढने के बाद आप वैसा नहीं कर पाएँगे | एक बार तो इसे अवश्य पढें | 


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२. द सीक्रेट : क्या आपका भी ‘लॉ ऑफ अट्रॅक्शन’ पर विश्वास है ? भई मेरा तो है | याने कि आप जैसा सोचते हैं, वैसा आपके साथ होता है, वैसी चीजों को आप अपनी ओर आकर्षित करते हैं, इसे ही ल़ ऑफ अट्रॅक्शन कहा गया है, इसी पर आधारित यह किताब कई सारे गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को उस बीमारी से बाहर लाने में कारगर साबित हुई है | आज के कोरोना के काल में, मेंटल हेल्थ की तरफ ध्यान देना आवश्यक हो गया है, ऐसे में जो भी व्यक्ति डिप्रेशन से ग्रसित है, दु:खी है, या किसी भी प्रकार की मेंटल तकलीफ से गुजर रहा है, उसे तो यह किताब अवश्य पढनी चाहिये, होता है ना हमारे साथ भी, कई बार हम चिढचिढे मूड में होते हैं, नकारात्मक सोचते हैं, और नकारात्मक ही होता है, साथ ही जब हमारी सोच सकारात्मक होती है, अच्छी चीजे सोचते हैं, तो अच्छा होता है | रोहोंडा ब्रायने द्वारा लिखित इस किताब में इस लॉ ऑफ अट्रॅक्शन के पीछे का अहम कारण बताया गया है | एक बार आप इसे पढेंगे तो आपकी सकारात्मक सोच में वृद्धि होगी और आपका इसकी तरफ देखने का नजरिया बदल जाएगा | 


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३. तीन हजार टाके / थ्री थाउजंड स्टिचेस : सुधा मूर्ती द्वारा लिखित हर एक किताब ही आपका नजरिया बदल सकती है | जिस तरह सुधा मूर्ती और नारायण मूर्ती ने मिलकर इंफोसिस और इंफोसिस फाउंडेशन की स्थापना की, और उसे इतना बडा किया, वह अपने आप में एक प्रेरणा है, और जब आप सुधा मूर्ति जी से उनके बचपन के किस्से, कहानियाँ, इंफोसिस फाउंडेशन का काम करते वक्त आए अनुभव सुनते हैं, तो आपका अपने करिअर, काम की तरफ, जिंदगी की तरफ देखने का दृष्टिकोन बदल जाता है | मेरी पसंदीदा किताबों में से एक है यह किताब | सुधा मूर्ति की हर किताब आपको कुछ ना कुछ नया सिखाएगी | इस किताब में “द केटल क्लास” यह एक अनुभव आपको लोगों की सोच और उस पर सुधा मूर्ति जी द्वारा अपने काम के माध्यम से दिया गया उत्तर बहुत कुछ सिखाएगा | अपने आप में आत्मविश्वास जगाने के लिये यह पुस्तक अवश्य पढें | 


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४. डायरी ऑफ अ यंग गर्ल बाय एन फ्रॅंक: जब आप १३ साल के थे, आपका जीवन कैसा था ? साधारण ? माता पिता भाई बहनों के साथ हँसता खेलता, स्कूल में दोस्तों के साथ मौज करता, और पढाई में समय बिताता जीवन? लेकिन सबका नसीब ऐसा नहीं होता | यह किताब एक कहानी है १३ साल की ज्यू लडकी की, जिसे एडॉल्फ हिटलर के समय में पूरे परिवार के साथ छल छावनी में डाला गया था | जिसकी ये डायरी, ज्यू लोगों के खिलाफ हुए अत्यातार को जुबान देता एक अहम दस्तावेज बन गया | ये किताब हमें उस वक्त के जर्मनी के काले सपने के बारे में तो बताती ही है, साथ में हमें मिले सुरक्षित जीवन के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है, और हमारा सोचने का तरीका भी बदलती है | 


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५. तोत्तोचान: यह एक जपानी किताब है, जिसे लिखा है, तोत्सुको कुरोयानागी ने | एक छोटी सी ६-७ साल के बच्ची की कहानी है | कहने को आप कहेंगे कि ये किसी बच्चे के लिये लिखी किताब है | लेकिन यदि आपने यह नहीं पढी है, तो आपको ये किताब पढ कर अपने अंदर की मासूमियत जरूर नजर आएगी | यह कहानी है, एक मासूम सी जापानी बच्ची की, और उसकी पसंदीदा स्कूल तोमोई की | उसके जीवन में आए ट्रेन के डिब्बे वाली इस तोमोई स्कूल के अनुभव हमें बहुत कुछ सिखाते हैं | जब हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणू बम गिरे थे, उससे पहले की सह कहानी है, जरूर पढें, आप लोगों में मासूमियत देखना सीख जाएँगे | 


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किताबें अलग अलग तरह की, अलग अलग जॉनर की, अलग अलग फ्लेवर की होती हैं | लेकिन वे हमें बहुत कुछ सिखाती हैं | बहुत कुछ | यदि आप इस दुनिया से दूर हैं, तो आज से ही हर माह एक किताब पढने का निर्णय कर लें | आप अपने आप में जल्द ही बदलाव देख सकेंगे |

“क्या तुम नहीं सुनोगे

इन किताबों की बातें?

किताबें कुछ कहना चाहती हैं,

तुम्हारे पास रहना चाहती हैं…!”

- निहारिका पोल सर्वटे