कोरोना व्हायरस एक जैविक हथियार ? #Wuhan ट्रेंडिंग

    24-May-2021
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जबसे कोरोना व्हायरस का पहला मरीज भारत में देखने को मिला है, तभी से जानकारों का मानना था कि ये कोई मामूली बीमारी नहीं है, या फिर ये कोई ऐसी बीमारी भी नहीं है, या महामारी नहीं है, जो हमें कुदरत ने दी हो | इसके लक्षण, इलाज और दवाइयों का इस पर असर ना करना, आए दिन इस बीमारी के नए लक्षण दिखना एक ही ओर इशारा करता है कि क्या चायना ने इसे जैविक हथियार के तौर पर तो नहीं बनाया | हालांकि शुरुआत में ऐसे कोई सबूत न होने के कारण चायना पर केवल आरोप ही लगे, लेकिन अब ये आरोप सिद्ध होते दिखाई पड रहे हैं | आज सुबह से ट्विटर पर #Wuhan ट्रेंड कर रहा है, यदि आप इस हॅशटॅग पर जाएं, तो कई भयंकर तथ्य सामने आएंगे |


Wuhan_1  H x W:


अमेरिकन इंटेलिजंस की एक रिपोर्ट के अनुसार वुहान के इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलॉजी के तीन वैज्ञानिकों को नवंबर २०१९ में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, इसके बाद एक एक करके इस इंस्टिट्यूट के कई कर्मचारी अस्पताल में भर्ती हुए थे | गौर करने वाली बात यह है कि, इस सभी को ठीक वैसे ही लक्षण थे, जैसे कि कोरोना के मरीज में आज दिखाई दे रहे हैं | यह एक भयंकर तथ्य है, जो सामने आया है | क्यों कि कोरोना महामारी के बारे में WHO को सबसे पहले नवंबर अंत - दिसंबर २०१९ की शुरुआत में पता चला | याने कि जब इन तीन वैज्ञानिकों को अस्पताल में भर्ती किया गया था, तब कोरोना आउटब्रेक के बारे में पूरी दुनिया में कहीं कोई चर्चा नहीं थी |

विज्ञान संबंधी मामलों पर लिखने वाले जाने-माने ब्रितानी लेखक एवं संपादक निकोलस वेड ने कहा कि चीन के ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ के अनुसंधानकर्ता कोरोना वायरस से मानव कोशिकाओं और मानवकृत चूहों को संक्रमित करने के लिए प्रयोग कर रहे थे और इसी प्रकार के प्रयोग के कारण कोविड-19 जैसे वायरस के पैदा होने की आशंका है।

वेड ने इस महीने की शुरुआत में प्रतिष्ठित ‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ में प्रकाशित ‘कोविड की उत्पत्ति: वुहान में भानुमती का पिटारा लोगों ने खोला या प्रकृति ने?’ शीर्षक वाले लेख में सार्स-सीओवी-2 की उत्पत्ति पर कई सवाल उठाए। कोरोना वायरस दिसंबर 2019 में वुहान से फैला शुरू हुआ था और यह वैश्विक महामारी बन गया। वेड ने कहा कि सबूत इस आशंका को पुख्ता करते हैं कि यह वायरस एक प्रयोगशाला में पैदा किया गया, जहां से वह फैल गया।

 
 

वेड ने कहा, ‘‘लेकिन इसकी पुष्टि के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि कई लोग जानते हैं कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर दो मुख्य अनुमान जताए जा रहे हैं-एक अनुमान यह है कि यह वन्यजीवों से मनुष्यों में प्राकृतिक रूप से आया और दूसरा अनुमान यह है कि इस वायरस पर किसी प्रयोगशाला में अध्ययन किया जा रहा था, जहां से वह फैल गया। वेड ने कहा, ‘‘वुहान चीन के मुख्य कोरोना वायरस अनुसंधान केंद्र का घर है, जहां अनुसंधानकर्ता मानव कोशिकाओं पर हमला करने के लिए चमगादड़ संबंधी कोरोना वायरस बना रहे थे।’’

उन्होंने कहा कि वे न्यूनतम सुरक्षा प्रबंधोां के बीच ऐसा कर रहे थे और यदि सार्स 2 का संक्रमण वहां से अप्रत्याशित रूप से फैला, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वेड ने कहा, ‘‘इस बात के दस्तावेजी सबूत है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अनुसंधानकर्ता मानव कोशिकाओं और मानवीकृत चूहों को कोरोना वायरस से संक्रमित करने के लिए ‘गेन ऑफ फंक्शन’ प्रयोग कर रहे थे। इसी प्रकार के प्रयोग से सार्स2 जैसा वायरस पैदा हुआ होगा। अनुसंधानकर्ताओं का इन वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण नहीं हुआ था और वे न्यूनतम सुरक्षा प्रबंधों के बीच काम कर रहे थे, इसलिए वायरस का वहां से फैलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी वुहान संस्थान के पास से फैली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत कई लोग भी यह आशंका जता चुके हैं कि वायरस चीन की किसी प्रयोगशाला से फैला।