Women’s Day special : प्रेग्नेंसी इन पेंडमिक सात समंदर पार…!

    08-Mar-2021   
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अक्सर शादी के कुछ साल बाद जब गुडन्यूज आती है, तब हर परिवार खुशी से खिल उठता है | होने वाले बच्चे और माँ का खयाल पूरा परिवार रखता है, पति से लेकर साँस तक और माँ से लेकर दादी माँ तक, भाई और बहन से लेकर ननंद और देवर तक हर कोई उस प्रेग्नेंट महिला का बडे प्यार से खयाल रखता है | लेकिन एक बार सोचिये, आप सात समुंदर पार हवाई आयलंड पर हैं, जहाँ आप और आप के पति के अलावा घर पर कोई नहीं, पूरे आयलंड में एक भी भारतीय परिवार नहीं, आप किसी को जानते नहीं, और कोरोना व्हायरस के कारण पूरा आयलंड, पूरी दुनिया ठप्प पडी है, और आपको पता चले कि आप प्रेग्नेंट हैं | आप क्या करेंगे ? एक ओर ढेर सारी खुशियाँ और एक ओर तनाव कि सब कैसे होगा ? ठीक से होगा या नहीं ? पहला ही बच्चा है, याने कि माँ और पिता को कोई अनुभव नहीं. ऐसे में सब कैसे होगा ? ये कोई फिल्म की कहानी नहीं, तो कहानी है एक ऐसे कपल की जो माऊई, हवाई आयलंड पर रहता है | ये कहानी है राधिका और सुशांत महाजन की और उनकी नन्ही परी ‘बेबी एस’ याने कि सानवी के जन्म की | ये कहानी है चॅलेंजेस से भरी प्रेग्नेंसी की, और सकारात्मक सोच से नकारात्मक परिस्थिती पर मात करने की | आईये जानते हैं, एक अनोखी प्रेग्नेंसी की कहानी |


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राधिका और सुशांत का विवाह हुआ सन् २०१६ में. पेशे से दोनों ही इंजीनिअर, राधिका महाराष्ट्र के औरंगाबाद से हैं | संयुक्त परिवार में और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कारों में पली बढी राधिका ने इंजीनिअरिंग पुणे से किया है | विवाह के बाद दोनों ही अमेरिका में रह रहे हैं | सुशांत पीएचडी कर चुके हैं, और युनिव्हर्सिटी ऑफ हवाई में इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रॉनॉमी में कार्यरत हैं | राधिका पेशे से इंजीनिअर हैं, योगा स्पेशलिस्ट हैं और एक आर्टिस्ट भी, उनकी पेंटिंग्स के सभी दीवाने हैं | तो ऐसा ये क्रिएटिव्ह कपल हवाई में सुशांत के करिअर के चलते शिफ्ट हुआ | हवाई के माऊई आयलंड पर, जहाँ इंडियन ग्रोसरी स्टोर नहीं है, इंडियन कम्युनिटी नहीं है, और कोई फॅमिली सपोर्ट भी नहीं | एक दूसरे का हात थामे राधिका और सुशांत हवाई के समुंदर किनारे अपनी प्यारी सी जिंदगी जी रहे थे, तभी साल २०२० आया और कोरोना ने पूरी दुनिया को अपने कब्जे में कर लिया, जिससे हवाई भी छूटा नहीं था | हाँ यहाँ केसेस कम थे, लेकिन लॉकडाउन और उसके चलते एक भारतीय कपल को हवाई पर आने वाले चॅलेंजस में तो बढोत्तरी हो ही चुकी थी | ऐसे में दोनों को पता चला कि, राधिका माँ बनने वाली हैं |


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दोनों के लिये ये बहुत ही बडी खुशखबरी थी, लेकिन ये गुडन्यूज अपने साथ ढेर सारे चॅलेंजेस भी लेकर आ रही थी | दोनों अपने परिवारों से सात समंदर दूर थे, ऐसी जगह जहाँ वे दोनों ही एक दूसरे का सहारा था | घर पर काम के लिये कोई हाउस हेल्प नहीं, बारिश वाला मौसम, बेहद ठंड, और सोने पे सुहागा ये लॉकडाउन | जहाँ इन्हे खुद को कोरोना से बचाना था, वहीं राधिका और आने वाले बच्चे का खयाल भी रखना था | ऐसे में व्हिडियो कॉल्स इनकी लाइफलाइन बन गए, और पडोसी उनका परिवार. राधिका के पडोस में रहने वाली पॅट ने उसका माँ के जैसा खयाल रखा | जहाँ होने वाली माँ की गोदभराई हमारे देश में एक बडा कार्यक्रम होता है, और राधिका जैसी लडकी जो एक भरे पूरे परिवार से आती है, ऐसे में उसे अपने परिवार की याद आना जायज ही है | लेकिन पॅट ने वो कमीं भी पूरी कर दी, और राधिका के लिये ‘हवाईयन बेबी शावर’ का आयोजन किया | राधिका की प्रेग्नेंसी हर मायने में अलग थी, हटके थी, चॅलेंजेस से भरी थी, लेकिन उतनी ही खूबसूरत थी |


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राधिका कहती हैं, सातवें महीने तक उनकी माँ और सासू माँ का हवाई आ पाना संभव है कि नहीं यह निश्चित नहीं था | राधिका के परिवार में सभी डॉक्टर्स हैं, जब राधिका का सातवाँ महीना चल रहा था, तो उनकी माँ यशस्विनी तुपकरी कोव्हिड ड्यूटी पर थी ७ दिन के लिये | राधिका के मन में बार बार ये खयाल आ रहे थे कि, यदि भारत में कुछ भी विपरीत होता है, तो वे जा नहीं पाएँगी | और उनकी डिलिव्हरी तर यदि उनकी माँ और सासू माँ नहीं आ पाए तो ? घबरा देने वाले खयाल थे, तो नये बेबी के आने के खयाल से ही चहरे पर आने वाली मुस्कान भी थी | आईये इस व्हिडियो में सुनते हैं, राधिका से उसके इस सफर की कहानी..! 



राधिका ने दिये एक इंटर्व्ह्यू में वे कहती है, “सुशांत और वे इस पूरे अनुभव के कारण और भी करीब आए हैं | इस पूरी जर्नी में दोनों ही एक दूसरे का सहारा थे, और दोनों ने एक दूसरे को खूब प्यार से संभाला |”

राधिका ने इस पूरे अनुभव से एक बार फिर एक बार साबित की, कि चाहे जो हो जाए, जैसी परिस्थिती आ जाए माँ कभी नहीं डरती, राधिका के सामने चॅलेंजेस तो थे, लेकिन बेबी ‘एस’ के आने की चाह ने उन सभी चॅलेंजेस की तीव्रता कम कर दी | राधिका और सुशांत ने सकारात्मक सोच के साथ इस पूरी कठिन लेकिन बहुत कुछ सिखाने वाली परिस्थिती का सामना किया | और आज वे अपनी नन्हीं परी के साथ बहुत खुश हैं |

राधिका की डिलिव्हरी के वक्त उनकी माँ और सासू माँ दोनों उनके पास थे, और आज राधिका और उनकी परी स्वस्थ हैं, खुश हैं |


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हम अपने कंफर्ट झोन में रहकर भी कई बार कई सारी शिकायतें करते हैं, राधिका की जर्नी हमें सिखाती है, कि हर मुसीबत का और संकट का हल होता है, और सकारात्मक सोच रखी जाए, तो हर कहानी का अंत अच्छा ही होता है |

राधिका सुशांत और उनकी नन्ही परी ‘सानवी’ को हमारी ओर से ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ की ढेर सारी बधाईयाँ | राधिका को एक स्ट्रॉंग, मजबूत और साहसी माँ होने के लिये, सुशांत को इसलिये क्यों कि उन्होंने साबित किया है कि प्रेग्नेंसी या पेरेंटिंग ये सिर्फ महिलाओं का काम नहीं है, इसमें पतियों का भी उतना ही योगदान होता है, और सानवी को इसलिये क्यों कि उनकी जिंदगी में खुशियाँ बिखेरने वाली नन्ही परी वो ही तो हैं |


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राधिका की इस जर्नी से सीखीये, और यदि आप भी ऐसी किसी परिस्थिती का सामना कर रहे हैं, तो विश्वास रखिये कि अंत में सब अच्छा ही होगा.

Happy Women’s Day…!

- निहारिका पोल सर्वटे