४ बातें जो ‘अनुपमा’ और ‘अरुंधती’ ने ‘यंग गर्ल्स’ को सिखाई…!

४ बातें जो ‘अनुपमा’ और ‘अरुंधती’ ने ‘यंग गर्ल्स’ को सिखाई…!

    15-Dec-2021   
|

आप सभी ने अपने घर में अपनी माँ और भाभियों, चाची और दादी को ‘अनुपमा’ या मराठी सीरिअल ‘अरुंधती’ देखते हुए देखा होगा | शायद कभी आपने भी ये धारावाहिक देखे होंगे | ये दोनों ही धारावाहिक एक ही थीम पर आधारित हैं, जिसमें अरुंधती / अनुपमा एक माँ है, जो घर और घर की जिम्मेदारियों में फंसी हुई है, उसका पति उसे धोखा देता है, और उसके बाद वो आत्मनिर्भर बनती है | ये सफर देखने लायक है, और बहुत कुछ सीखने लायक भी | इन धारावाहिकों से आज की जनरेशन को, खासकर लडकियों को बहुत कुछ सीखने मिलता है |


Anupama_1  H x


आज हम उन ४ बातों के बारे में बात करेंगे, जो इन ‘होम मेकर्स’ ने और उनकी कहानी ने हमें सिखाई…!

१. इंडिपेंडेंट / आत्मनिर्भर बनो : अनुपमा और अरुंधती शुरुआत से ही अपने पति पर, परिवार पर और बच्चों पर निर्भर रहती थीं | इससे उनके परिवार में भी ऐसी ही धारणा हो गई कि, ‘इससे तो कुछ नहीं हो सकता’ और फिर उन्हें मिलने वाले सम्मान में कमीं आई | उनके बच्चे, पति या परिवार उनका सम्मान नहीं करता था | लेकिन जब उन्होंने आत्मनिर्भर होने की ठानी, तो उनका परिवार, बच्चे धीरे धीरे उनमें बदलाव देखने लगे, और उनका सम्मान भी करने लगे | आप सब कुछ कर सकते हैं, ये भरोसा दिलाने के लिये आपको किसी धोखे की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये | आत्मनिर्भर बनें | छोटे छोटे काम खुद से करने की आदत डालें, केवल घर के ही नहीं तो बाहर के काम, जैसे बैंक जाना, गाडी चलाना, सामान लाना, कुछ छोटे छोटे ही सही लेकिन अपने दम पर निर्णय लेना, अकले शहर और शहर के बाहर आना जाना, इत्यादि, जब आप ये स्वयं करने लगेंगे, तब आपको भी समझ आएगा, कि ये कितना सरल है | और हमारी आज की जनरेशन के लिये तो आत्मनिर्भर होना अत्यावश्यक है |


Anupama_1  H x


२. आत्मविश्वास बनाए रखना : अनुपमा और अरुंधती की कहानी की सबसे बडी सीख ये है, कि हमारे अंदर आत्मविश्वास होना कितना ज्यादा जरूरी है | जब तक इन दोनों में ही आत्मविश्वास नहीं था, वे आत्मनिर्भर नहीं थी, तब तक उनका किसी ने कोई सम्मान नहीं किया, उनकी बात किसी ने नहीं सुनी | जब उन्होंने अपने अंदर आत्मविश्वास रखा, किसी के कहने सुनने की बजाए खुद पर और खुद की काबीलियत पर विश्वास रखा, तब उन्होंने सफलता पाना शुरु किया | घर परिवार और बाहर की दुनिया उनका सम्मान करने लगी | आपको अच्छा कहने, आपका विश्वास बढाने शायद कई बार कोई दूसरा ना आ सके, कई बार आपको खुद ही ये करना पडेगा | आपका आत्मविश्वास कम करने के लिये हजार लोग आएंगे, साधारण सी बात पर आपका आत्मविश्वास लडखडा जाए इसकी कोशिश करेंगे, लेकिन आपको यह आत्मविश्वास डगमगाने नहीं देना है | आपका आत्मविश्वास ही आपकी ताकद है |


Anupama_1  H x


३. बाहर की दुनिया और लोगों का अनुभव आवश्यक : यह परेशानी हर ‘होम मेकर’ या गृहिणी के साथ होती है | शादी के बाद से ही वो घर परिवार में इतनी फँस जाती है, कि उसका खुद का अस्तित्व और जीवन रह ही नहीं जाता | घर में फँसे फँसे कई बार उनकी सोच और जीवनशैली भी रुके हुए पानी की तरह हो जाती है | ऐसे में उन्हें आवश्यकता होती है, एक खुली साँस की | बाहर की दुनिया और लोगों का अनुभव उनकी सोच को खोलने और और उनका दायरा बढाने में मदद करता है | ऐसे में ये आज की जनरेशन की लडकियों के लिये एक बहुत बडी सीख है, कि घर परिवार में फँसे मत रहो, घर का ख्याल रखो, परिवार का ख्याल भी रखो, लेकिन अपने भविष्य को, अपनी ग्रोथ को भी प्राथमिकता दो | घरवाले, परिवार वाले समझेंगे, और नहीं समझे तो साथ साथ सीख जाएँगे | आज भी कई लडकियाँ घरवालों के दबाव में अपने करिअर को अलविदा कह देती हैं | अपनी इच्छाएँ, अपनी पसंद ना पसंद, अपनी हॉबी को खत्म कर देती है, ऐसे में रह जाता है तनाव और दबाव | अपनी जिंदगी खुल कर जीते हुए भी घर परिवार का ख्याल रखा जा सकता है | तो आप भी घर के बाहर निकलें, अपना खुद का एक सोशल सर्कल बनाएँ, अपना करिअर आगे बढाएं, और फिर अपने परिवार और घर का ध्यान रखें | आपका आत्मविश्वास खुद ब खुद बढेगा |


Anupama_1  H x


४. अपने लिये ‘स्टँड’ लें : एक बात इन दोनों ने सिखा दी कि कई बार आपकी जिंदगी में ऐसी सिचुएशन्स आएँगी कि आपके लिये स्टँड लेने के लिये कोई नहीं होगा, या आपके लिये कोई कितना भी स्टॅंड ले लें, जब तक आप अपने लिये स्टँड नहीं लेंगे, तब तक कोई भी कुछ नहीं कर सकता | ऐसे में आपको इतना अत्मविश्वास रखना पडेगा, कि आप अपने लिये बात कर सकें, आप पर होने वाले अन्याय के लिये बात कर सकें | यदि आप सही हैं, तो आप को अपने लिये बात करना आना ही चाहिये, क्यों कि यदि आपवो नहीं करेंगे तो कोई और आके कभी नहीं करेगा | आपकी जिंदगी में कई ऐसे मौके आएंगे, जहाँ आपको अपने लिये खडा होना ही पडेगा |


Anupama_1  H x


वैसे तो ये धारानाहिक मनोरंजन के लिये होते हैं, लेकिन कई बार इनकी कहानी, संवाद और पात्र हमें बहुत कुछ सिखा देते हैं | अनुपमा और अरुंधती की कहानी भी कुछ ऐसी ही है | यदि हम इससे कुछ सीख कर असल जिंदगी में इसका उपयोग करें, तो हमारी जिंदगी भी कुछ आसान होगी | है ना ?

आपको इस बारे में क्या लगता है ? आपने इन धारावाहिकों से क्या सीखा हमें अवश्य बताएँ |