स्वामी विवेकानंदजी का जीवन हर व्यक्ति के लिए आदर्श ही रहा है। अपने राष्ट्र और धर्म के प्रति उनकी आस्था अद्वितीय थी। शायद यहीं कारण था कि केवल ३० वर्ष की आयु में उन्होंने शिकागो विश्व धर्म परिषद द्वारा दुनिया पर अपनी छाप छोड़ दी। आजीवन धर्म और सत्य की खोज में लगाकर स्वामीजी ने न केवल युवाओं अपितु भारत के हर व्यक्ति को ऐसे-ऐसे संदेश दिए जो आज भी प्रासंगिक है और शायद चिरंतन काल तक प्रासंगिक ही रहेंगे।
स्वामी विवेकानंद ने आध्यात्म और ईश्वर को जानने के कौताहल की यात्रा में केवल २५ साल की उम्र में ही गेरुए वस्त्र धारण कर लिए थे। ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, राजयोग जैसे विषयों पर उनके विचार; भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म और संस्कृत भाषा का महत्त्व; भारत की विभिन्नता में एकता आदि विषयों पर उनके भाषण एक शताब्दी पश्चात् भी खरे सिद्ध होते है।
आज जब दुनिया में पिछले एक वर्ष से कोहराम मचा हुआ है, स्वामी विवेकानंद के शब्द हमें न केवल प्रेरणा देते है बल्कि हमारे स्वाभाव में स्थैर्य लाने का भी कार्य करते है।
यदि स्वामी विवेकानंद के इन शब्दों ने आपको प्रेरित किया हो तो मैं हमारे सभी पाठकों से निवेदन करुँगी की वे जरुर उनकी जीवनी भी पढ़ें। इसके अलावा उनके प्रेरणादायी भाषणों का संग्रह
'स्वामी विवेकानंद भारतीय व्याख्यान' भी आपको इस महात्मा के विचारों से रूबरू कराएगा।
आप सभी को राष्ट्रीय युवा दिवस की शुभकामनाएं!