क्या आप जानते हैं इस 'पुण्यनगरी' के बारे में ?

    11-Jul-2020   
|

यदि आप अलग-अलग जगहो पर घूमने के शौकीन है, साथ ही भारतवर्ष का इतिहास अच्छे से जानना और समझना चाहते हैं, तो पुणे ये शहर आपके लिये एक बहुत ही अच्छा स्थान है। यह पूर्व में पुण्य-नगरी के नाम से जानी जाती थी।


पुणे इस नगर का महत्व प्राचीन काल से रहा है परंतु इस स्थान को विशेष पहचान मिली छत्रपती शिवाजी महाराज के कारण......महाराज ने ना केवल इस नगर को बसाया बल्की इस स्थान का राजनैतिक,आर्थिक और सामाजिक महत्व भी बढाया। सुरक्षा कि दृष्टी से इस स्थान को उपयुक्त बनाया, उनके पश्चात पेशवाओं ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया। इस शहर में अनेको मंदिरो और स्मारको का निर्माण कराया, इस तरह सह्याद्री नामक पहाडी के पास बसा ये शहर न केवल अपनी खूबसूरती के लिये बल्की अनेक ऐतिहासिक स्थानो के लिये भी संपूर्ण भारत में प्रसिध्द है।


pune_1  H x W:

चाहे हम छत्रपती शिवाजी महाराज के बचपन की बात करें या पेशवा बाजीराव और मस्तानी के प्रेम की सबसे पहला नाम पुणे का ही आता है।

तो चलिये जानते है इस शहर के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों के बारे में......

pune_1  H x W:


1) शिवनेरी किला - हम पुणें जाए और शिवाजी महाराज का जन्मस्थान नही देखा तो हमने समझिये हमने कुछ भी नही देखा। शिवनेरी किला ये शिवाजी महाराज का जन्म स्थान है। गौतमीपुत्र और शतकर्णी जैसे महान शासको वाले "सातवाहन वंश" के द्वारा बनाया गया ये किला शिवाजी महाराज के दादाजी "मालोजीराजे" ने जीता तथा अपने पुत्र शहाजीराजे को उसके अधिकार सौप दिये। सभी तरफ से शत्रुओं से घिरे शहाजीराजे ने अपने पुत्र के जन्म के लिये इस जगह को चुना जो त्रिकोणाकार था। इस अत्यंत मजबूत और ऊंचे किले की दीवारें आज भी उतनी ही पक्की है। सात तरफ से सात दरवाजे , हर दरवाजे का एक विशिष्ट नाम, शिवाई माता का मंदिर एवं अन्य अनेक रमणीय स्थल इस किले की शोभा बढाते हैं। भारत ही नही बल्कि विदेशों से भी यहां इतिहासकार , पुरातत्त्ववेत्ता एवं संशोधक आते है, यदि आप वाकई इतिहास पढ चुके हैं तो आपको इस किले को देखने अवश्य जाना चाहिये।


pune_1  H x W:

2)लाल महल - यह पुणे शहर की एक और ऐतिहासिक धरोहर है, शिवनेरी किला शहर से दूर जुन्नर में स्थित है जहां पर शिवाजी महाराज का जन्म हुआ, उसके उपरांत शहाजीराजे ने बालक शिवाजी और जिजामाता के लिये इस महल का निर्माण सन्1630 में कराया, जो कि शहर के मध्य में स्थित है।

अपनी बनावट और मजबूती के लिये प्रसिद्ध लालमहल को कालांतर में मुगलों द्वारा नष्ट कर दिया गया, परंतु कुछ समय पश्चात इसका पुनर्निर्माण कराया गया, ऐसा माना जाता है कि शिवाजी महाराज ने अपने जीवन के 10 महत्वपूर्ण वर्ष इसी महल में बिताये थे।

आज लालमहल शिवाजी महाराज के चित्रों और वस्तुओं की प्रदर्शन स्थली के रूप में प्रसिद्ध है, हर साल यहां अनेको पर्यटक और इतिहासप्रेमी शिवाजी महाराज के बारे मे जानने और उस काल की वस्तुओं को देखने आते हैं।


pune_1  H x W:


3) शनिवारवाडा - पुणे शहर का एक और आकर्षक स्थल याने शनिवारवाडा...... शनिवार के दिन इस इमारत की नींव पडी इस कारण इसका यह नाम पडा। और "वाडा" शब्द मराठी भाषा में बिल्डिंग या बडे से घर के लिये प्रयुक्त होता है। अठारहवीं शताब्दी में बनी यह इमारत इतिहास मे खासा महत्व रखती है, मराठाओं की उत्तर तथा दक्षिण में विजय के पश्चात प्रथम बाजीराव पेशवा के सम्मान मे बनाई गयी थी। इसी जगह पर पेशवा (प्रधानमंत्री) का निवास था, लगभग 100 वर्षों तक इस इमारत में पेशवाओं का वास्तव्य रहा। ब्रिटिशों के भारत में आने पर उन्होने अंतिम पेशवा(बाजीराव द्वितीय) से शनिवारवाडा को हस्तगत किया। 1730 में बनी इस इमारत की संरचना मजबूत और दर्शनीय थी, इसकी दीवारों के निर्माण के लिये टीकवुड, चूनापत्थर तथा काले पत्थर जेजुरी व जुन्नर से मंगवाये गये थे। यह जगह अलग-अलग कारणों से चर्चा में रही, माधवराव पेशवा की म्रुत्यु के पश्चात उनके छोटे भाई नारायणराव को छल से मारा गया था , ऐसा कहा जाता है कि तबसे नारायणराव की आत्मा यहां भटकती है और यहां से आवाजें आती है, ऐसी मान्यतायें है। बाजीराव और मस्तानी के प्रेम का प्रतीक मस्तानी महल भी इसी इमारत में स्तिथ था! परंतु जो इतिहास जानते है वो ये भली-भाति जानते हैं कि इस भव्य इमारत ने मराठाओं का उत्कर्ष देखा है, संपूर्ण भारतवर्ष पर मराठाओं की विजय का ध्वज लहराते देखा है, शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज के सपने को उनके पश्चात पूरा करने का प्रण इसी इमारत में लिया गया तथा अपने प्राणों कि आहुती देकर उसे पूरा करने का प्रयत्न भी इस इमारत ने देखा है।


pune_1  H x W:

4)शिंदे छत्री -: ऐतिहासिक स्थलो में शिंदे छत्री ये नाम भी खासा महत्व रखता है। यह स्मारक पुणे के वानवडी क्षेत्र में स्थित है। पानिपत के भीषण संग्राम के पश्चात मराठा साम्राज्य कि बडी हानी हुई, सभी मुख्य सरदार इस युध्द में वीरगती को प्राप्त हुये थे, ऐसे में शिंदे घराने के एक अत्यंत वीर युवा सरदार ने मराठा फौज कि कमान अपने हाथो में ली, वो थे सरदार महादजी शिंदे, १७६० से १७८० तक ये पेशवा के सरदार थे। अपने इस कार्यकाल में उन्होने मराठी सत्ता को ना केवल उत्तम रीति से संभाला बल्की दिन प्रतिदिन उत्कर्ष किया, अनेक युध्द लडे, ऐसे महान तेजस्वी और पराक्रमी सरदार कि याद में उनकी मृत्यू के पश्चात इस स्थान पर उनकी समाधी का निर्माण कराया गया। पूर्व में यहां स्वतः महादजी शिंदे जी द्वारा एक शिवमंदिर बनाया गया था |और इस जगह से उनके विशेष प्रेम को देखते हुये उनकी अंतिम क्रियाये इसी स्थान पर की गयी थी। कालांतर में मौसम की मार और देख-रेख के अभाव में यह स्मारक जर्जर हो गया था, फिर कुछ वर्षो पहले शिंदे घराने के वंशजो (वर्तमान सिंधिया) ने इसका जीर्णोद्धार कराया।

इस इमारत में एक बहुत ही सुंदर शिवमंदिर है तथा एक बडा सा हॉल है , इस हॉल में जहा अंदर शिंदे घराने के वीर पुरुषो के तैलचित्र लगे है वही बाहर राजस्थानी शिल्प कला से बनी एक से एक कलाकृतिंया है। शिवमंदिर भी वास्तूकला का एक अदभुत नमूना है, इस इमारत की बाहरी दीवाल पर ऋषी-मुनियों के पुतले आदि बहुत ही खूबसूरती से बने हुये है। मजबूती में ये स्मारक किसी किले से कम नही है। साथ ही प्राचीन वास्तुशिल्प का यह उत्कृष्ट नमूना है।


तो यदि आप इतिहास में विशेष रुची रखते है और भारतवर्ष के शूरवीर योद्धाओ के जीवन के बारे में जानना चाहते है तो पुणे आपके लिये एक उपयुक्त स्थान है, यहा हर साल देश भर से ही नही बल्की विदेशो से भी अनेक पर्यटक, अभ्यासक और संशोधक आते है, यह शहर केवल पर्यटन स्थल नही बल्की मराठा शासको के गौरवपूर्ण इतिहास का साक्षीदार भी है|

- प्रगती गरे दाभोळकर