पाताल लोक = #AntiHindu ? क्यों ट्रेंड कर रहा है #BoycottPaatalLok
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एमेझॉन प्राइम पर जैसे ही कोई नया शो या वेब सीरीज आती है, वह सोशल मीडिया पर ट्रेंड ना करे ऐसा हो ही नहीं सकता | लेकिन हाल ही में जो एक वेब सीरीज ट्रेंड कर रही है, उसका कारण अलग है, और आज हम इस रिव्ह्यू के माध्यम से ये ही जानने की कोशिश करेंगे, कि पाताल लोक #AntiHindu है? और यदि हाँ तो क्यूँ है ?
पाताल लोक ये वेब सीरीज एक क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज कही जाएगी, जिसमें एक पत्रकार का कत्ल करने की कोशिश करने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और कहानी इसी केस के इर्द गिर्द घूमती है | कहानी में सस्पेंस है, थ्रिल है, आपको हर एपिसोड के अंत में लगेगा, अगला देख ही लेना चाहिये | लेकिन से सिर्फ और सिर्फ कहानी के कारण | लेकिन जब आप ये एक एक करके ९ एपिसोड्स देखते हैं, आपको कुछ बातें बहुत ही Unnecessory लगने लगती हैं | जानबूझ कर डाली गई, किसी पूर्वानुग्रह के कारण, या पक्षपाती लगेगी आपको ये सीरीज |और इसीलिये सोशल मीडिया पर इस वेबसीरीज के खिलाफ उठने वाली बातें कई हद तक जायज लगती हैं | इसीलिये यह वेबसीरीज #AntiHindu लग सकती है |
मैं जरा आपको कहानी समझाती हूँ और फिर कुछ पॉईंट्स बताती हूँ, आगे आप खुद समझ सकते हैं |
हाथीराम चौधरी नामक एक पुलिस अफसर जो सालों से अपने प्रमोशन की राह देख रहा है, उसे एक हायप्रोफाइल केस सौंपा जाता है | जिसमें एक प्रसिद्ध पत्रकार संजीव मेहरा का ‘मर्डर’ प्लान करने के जुर्म में चार लोगों को गिरफ्तार किया जाता है | और यहाँ से इस केस के बारे में छानबीन चालू होती है | धीरे धीरे राज खुलते जाते हैं | बीच में ही कई कारणों से हाथीराम चौधरी के हाथ से ये केस निकाल कर सीबीआय को सौंप दिया जाता है | लेकिन हाथीराम अपनी छानबीन बंद नहीं करता | वगैरा वगैरा.. इस पूरी कहानी का महत्वपूर्ण किरदार है ‘हथौडा त्यागी’ जो गिरफ्तार चारों में से एक है | संजीव मेहरा की दुनिया भी अलग ही चल रही है | उसे उसके चॅनल से निकाल दिया जाने वाला होता है, लेकिन वो खुद की ही मर्डर प्लानिंग की खबर ‘प्राइम टाइम’ में दिखाकर अपनी वापसी करता है | और भी बहुत कुछ | हर किरदार अलग है, हर किरदार की कहानी अलग है | एक सीरीज के तौर पर एक्टिंग अच्छी है, सिनेमेटोग्राफी, प्लॉट सब कुछ अच्छा है लेकिन जहाँ इस सीरीज पर आपको गुस्सा आने लगता है, वो मुद्दे महत्वपूर्ण है, और इसीलिये ट्रेंड कर रहे #BoycottPaatalLok को भारत में बडे पैमाने पर समर्थन मिल रहा है |
अब इसे #AntyHindu कहा जा रहा है उसके प्रमुख कारण :
१. अंसारी को धार्मिक विक्टिम दिखाना : हाथीराम चौधरी के साथ एक और पुलिस अफसर दिखाया गया है ‘अंसारी’ | जो अपने काम और साथ ही साथ अपने ‘धर्म’ को लेकर बहुत ईमानदार बताया गया है | पूरी सीरीज में उसे एक ‘धार्मिक’ विक्टिम के तौर पर दिखाया गया है | अर्थात कैसे उसके ‘मुस्लिम’ होने के कारण उसके साथ अफसर उसे जज करते हैं, या कैसे मॉक इंटर्व्ह्यू में जब उसे पूछा जाता है कि अल्पसंख्यांको की स्थिती पिछले कई सालों में बदली है उस पर आपका क्या कहना है, और वह उत्तर देता है कि “इस देश में अल्पसंख्यांक सुरक्षित है या नहीं इस विषय में हमें सोचना पडेगा” तब उसे टोक दिया जाता है, इत्यादि | आप सोचिये ये कहानी यदि जरा सी उल्टी होती, तो क्या आप इसे सपोर्ट करते ?
२. संजीव मेहरा के घर पाले गये कुत्ते का नाम सावित्री : जैसा की सभी जानते हैं, हिंदु धर्म में सत्यवान और सावित्री का एक विशेष स्थान रहा है, ऐसे में कुत्ते के नाम को ‘सावित्री’ रखना सवाल खडे करेगा ही | सोच के देखिये यदि ये नाम ‘मुहम्मद’ या ‘मेरी’ रखते तो चलता ? और यदि तब नहीं चलता तो अब क्यों ?
३. अयोध्या में विवादित ढाँचा गिराते वक्त कारसेवकों का मुस्लिम व्यक्ति पर हमला : ये पूरी घटना ही विवादित है | ऐसे में यदि यही कहानी उल्टी दिखाई जाती, तो अब तक सोशल मीडिया पर कई कलाकार और बुद्धीजीवी इस सीरीज को बॅन कराने की माँग कर चुके होते, लेकिन जिस तरह ये दिखाया गया है कि, “कारसोवकों नें किस तरह पीट पीट कर एक मुस्लिम को मार दिया” ये मॉब लिंचिंग को दिखाता है | और उसे एक धर्म विशेष से जोडता है | इसमें उस व्यक्ति के पिता का एक संवाद है “मैंने अपने बेटे को मुस्लिम तक ना बनने दिया आपने उसे जेहादी बना दिया” ये संवाद इस थेअरी को प्रदर्शित करता है, कि भारत में हर मुस्लिम व्यक्ति की तरफ जेहादी की नजरों से देखा जाता है | जो कि अपने आप में ही एक भयंकर और गलत जजमेंट है |
४. बात बात पर जातीय विरोध दिखाना : जाति पाति को ना मानने का दिखावा करने वाले लोग ऐसी कलाकृतियों के माध्यम से ही जाती में बैर पैदा करते हैं | इस सीरीज में नाम लेकर दलित और ब्राह्मण वाद को आगे बढाया गया है, जाट गुर्जर समाज का नाम लेकर जाती को बीभत्स स्वरूप दिया गया है | हिंदुओं और उसमें भी ब्राह्मण जाती के प्रति द्वेष भावना इस सीरीज में दिखाई देती है | एक सीन में एक व्यक्ति काम में जनेऊ बांध कर शारीरिक संबंध बनाता हुआ दिखाई देता है | उस वक्त ये अपने आप ही समझ आता है कि कान में बंधा वो जनेऊ वहाँ पर डाला गया है | बाजपेयी नाम के पॉलिटिशयन का ब्राह्मणों को समर्थन देना, चित्रकूट की पार्श्वभूमी पर एक धर्म विशेष की बदनामी करना |
५. जात के नाम पर भयंकर हिंसा : आजकल पता नहीं क्यूँ लेकिन बेवसीरीज में हिंसा और नग्नता (Violance and Nudity) दिखाना जरूरी ही हो जाता है | इस वेबसीरीज में इतनी घिनौनी हिंसा दिखाई है जिसकी कोई हद्द नहीं | जात के नाम पर मार काट, और उसके बाद जात के नाम पर ही बलात्कार जैसे भीषण अपराध को खुलेआम दिखाया है | एक औरत का सामूहिक बलात्कार हो रहा है, और आसपास लोग बैठे हैं देख रहे हैं, और हम ये खुली आखों से देखते हैं, क्यों कि ये बिना किसी सेंसर के खुलेआम दिखाया जा रहा है | हथौडे से हत्या, भीषण हिंसा, गालीगलौच क्या इसे एंटरटेनमेंट कहा जा सकता है ?
फिल्म की प्रोड्यूसर अनुष्का शर्मा हैं, और इस विवाद के कारण अब उन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं |
इस सीरीज में पत्रकारों का भी घिनौना स्वरूप दिखाया गया है, (या शायद यूँ कहें कि कुछ लोगों के लिये जो पत्रकारिता के मायने हैं, वे यही हैं ) पत्रकार संजीव मेहरा का किरदार भी घोनौनी पत्रकारिता दिखाने वाला ही है | उसका एक संवाद है, “We liberals are such a cliché,we need a victim to be a muslim.” ये भयानक सत्य है वर्तमान की इलेट्रोनिक मीडिया का |
अनुराग कश्यप और जावेद अख्तर जैसे सेलिब्रिटीज इसकी तारीफ करते नहीं थकते, ये वहीं लोग हैं जो अपने #AntyHindu बयानों के कारण चर्चे में रहते हैं |
सीरीज में नीरज काबी, जयदीप अहलावत और अभिषेक बैनर्जी ने अभिनय अच्छा किया है | लेकिन उनके संवादों के पीछे की मानसिकता पर प्रश्न उपस्थित हो सकते हैं | overall यदि इस सीरीज में ये भडकाऊ चीजें नहीं डाली जाती तो कहानी बहुत अच्छी थी |
इस वेबसीरीज में क्राईम को, हिंसा को, हत्या को, ग्लोरिफाय किया गया है, जानबूझ कर एक धर्मविशेष को अर्थात हिंदु धर्म को बदनाम किया गया है | जानबूझ कर LGBTQ और मुस्लिम समुदाय पर अत्याचार दिखाया है | और भारतीय दर्शकों का मजाक बना के रख दिया है | हम वे दर्शक हैं जिन्हें सेक्रेड गेम्स में दिखाई गई न्यूडिटी पसंद हैं, हम वे दर्शक हैं जिन्हें वेब सीरीज में गालीगलौच और मर्डर, बलात्कार दिखाया जाना एंटरटेंमेंट लगता है | और जब ये सब बाकी के धर्मों के विरोध में दिखाया जाता है तो सोशल मीडिया भर जाता है, कलाकार अपने इंस्टाफीड्स भर देते | लेकिन अब शायद वे खामोश हैं |
ये सीरीज एक घनौनी मानसिकता को दिखाती है | निर्णय आपका है देखें या नहीं, लेकिन ये देखकर ही इस मानसिकता का पता चला है | कहते हैं फिल्में समाज का आईना होती हैं, आज उनकी जगह वेबसीरीज ने ले ली है | समाज की मानसिकता ठीक रखनी है | हिंसा और बलात्कार जैसे अपराध कम करने हैं, सामाजिक सौहाद्र् रखना है तो, अवश्य ही ऐसी सीरीज के विरोध में बोलना आवश्यक है |
- निहारिका पोल सर्वटे