ये है कहानी की मुख्य बात | जब उस महिला को पता चलता है कि मिलिंद का दोस्त याने कि उसके गुजरे हुए बेटे का दोस्त आया है, वह उसमें अपने बेटे को खोजती है | उससे अपने प्यारे मिलू के बारे में ढेर सारी बातें करती है | उसे पुरणपोळी खिलाती है | और उसके साथ बहुत बातें करती है | शायद उसमें वो अपने बेटे को देखती है | जब वह लडका घर पर आता है, तब यह महिला वहाँ नहीं होती, उसे घर के अंदर महिला की भाँजी बिठाती है | उसके बारे में फेसबुक पर थोडा रीसर्च भी कर लेती है, जिससे उसको पता चलता है कि यह लडका तो एक शॉर्टफिल्म, डॉक्यूमेंट्री डायरेक्टर है | उसे लगता है वो इसी सिलसिले में आया है | बाद में पता चलता है… वह आया तो इसी सिलसिले में है.. |