कालातीत महाभारत, सोशल मीडिया और युवाओं के बारे में साक्षात श्रीकृष्ण से खास बातचीत..

    31-Mar-2020   
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“सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं तक पँहुचना बहुत ही आसान हो गया है | मैं आनंदित हूँ कि एक दिन में ही मेरे व्हिडियो पर मुझे बहुत प्रेम मिला, और मैं महाभारत की सीख युवाओं तक पँहुचा पाया |”



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भारत भर में चल रहे लॉकडाउन के कारण दूरदर्शन ने लोगों को घर पर रहने का एक कारण दिया है | कालातीत महाभारत और रामायण को पुन: प्रसारित कर के दूरदर्शन ने आज के युवाओं को मानों एक वरदान दिया है | इस विषय में fikarnot.online से खास बातचीत करते वक्त स्वयं श्रीकृष्ण याने कि नितीश भारद्वाज ने आज के युवाओं को इस महाभारत की किस प्रकार से आवश्यकता है, और यही महाभारत उन्हें उनके रोजमर्रा के जीवन में कैसे सही रास्ता दिखाएगा’ यह बताया |



आज का समय काफी बदल गया है, पिढी बदल गयी है, ऐसे में महाभारत की प्रासंगिकता के बारे में आप क्या कहेंगे ?
पूछने पर उन्होंने बताया, “महाभारत कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है, यह जीवन जीने की कला है | आज की पिढी की अगर मैं बात करूँ खासकर जिसे हम मिलेनियल जनरेशन कहते हैं याने की सन २००० के बाद जिनका जन्म हुआ है, आज वे अपने असली जीवन में पदार्पण करने जा रहे हैं, जिनका जन्म १९९० के बाद हुआ है, वे इस जीवन में पदार्पण कर चुकें हैं | उनका साधारण जीवन ही किसी कुरुक्षेत्र से कम नहीं है, आपको धोखा देने वाले, मतलब से काम रखने वाले, आपका फायदा उठाने वाले, बहुत सारे दुर्योधन दु:शासन आज भी मिलेंगे | ऐसे में इस कुरुक्षेत्र में कैसे लडें और विजय प्राप्त करें ये महाभारत बताता है |” वे आगे कहते हैं, “ हमारी रोज की जिंदगी में कन्फ्यूजन होता है, ये करें कि नहीं, यहाँ जाएँ कि नहीं, यह सही है कि नहीं? ऐसे बहुत सारे प्रश्न रोजमर्रा की जिंदगी में उठते हैं, बस यही तो है महाभारत की सीख कि हम इससे कैसे निपटें. हमारे समाज में दुर्गुण कभी समाप्त नहीं होने वाले, क्यूँ कि हम मनुष्य हैं | इन दुर्गुणों से लडने की सीख महाभारत देता है | और आज की पिढी को इसी की आवश्यकता है | महाभारत के संवाद, जिस प्रकार से वह लिखा गया है, हर पिढी के लिये प्रासंगिक है, relevant है | 


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महाभारत के पुन: प्रसारण से आपकी काफी यादें ताझा हो गई होंगी, इस विषय में कुछ बतायें,
यह पूछने पर उन्होंने बहुत सारी यादें साझा की, वे कहते हैं, “ जब दो दिन पहले पहली बार महाभारत का पहला एपिसोड पुन: प्रसारित हुआ, मुझे २ अक्टूबर १९८८ का दिन याद आया | उस वक्त सुबह जब महाभारत शुरु होता था, तब घरों घरों में शंखनाद होता था, हर घर में टीव्ही तो नहीं होते थे, लेकिन जिनके घर में टीव्ही था, वहाँ जमघट लग जाता था | आज लॉकडाउन के कारण रास्ते खाली हैं, लोगों को मजबूरी के कारण घर में बैठना पड रहा है | लेकिन तब महाभारत के कारण रास्ते खाली हो जाते थे | ये अपने आप में ही बहुत बडी बात थी | मेरी सारी स्मृतियाँ जागृत हो गई | मेरी दो बेटियाँ इंदौर में लॉकडाउन हैं, वे वहाँ से रोज ये देख कर मुझे व्हिडियो कॉल पर बताती हैं | टेक्नेलॉजी का सही उपयोग करते हुए आज मैं अपनी अगली पिढी तक सही सांस्कृतिक मूल्य पँहुचा पा रहा हूँ |”



टेक्नेलॉजी कि बात निकलने पर जब हमने उन्हें सोशल मीडिया के बारे में उनके विचार पूछे
वे बताते हैं, “मैंने आज तक कभी सोशल मीडिया को सीरिअसली नहीं लिया था | मुझे लगता था, मैं यही सब करता रहा तो मैं अपना काम कब करूँगा? लेकिन मैं बहुत गलत था | कल मैंने अपने फेसबुक पेज पर महाभारत संबंधी एक व्हिडियो पोस्ट किया | और केवल १० घंटो में ही उसे २.१ मिलीयन व्ह्यूज मिले हैं | और इसका reach ५० मिलियन से अधिक है | इतना प्रेम और इतना रिस्पॉन्स देख कर मैं आवाक रह गया | मुझे कुछ घंटों में ही फोन आने लगे और फॉलोअर्स अचानक बहुत बडी मात्रा में बढे | मैं नंबर्स के खेल में नहीं हूँ, ना हि मैं अपनी तुलना किसी से करूंगा, लेकिन फॅन्स का इतना प्रेम देख कर मैं अभिभूत हूँ | और मुझे सबसे ज्यादा आनंद इस बात का है कि इन व्ह्यूज में सर्वाधिक संख्या में २५ से ४० उम्र के लोग हैं, और मैंने इसी प्रेम से प्रेरित होकर अब अपना यूट्यूब चॅनल और इंस्टाग्राम का अकाउंट भी प्रारंभ किया है, जिसके माध्यम से मैं अधिकाधिक युवाओं तक पँहुच सकूँ |”



इस क्वारंटाइन पर लोगों को संदेश देते हुए वे कहते हैं, “ ऐसा मौका दोबारा नहीं आयेगा | हम सुबह सुबह उठ कर मेडिटेशन क्यूँ करते हैं, क्यूँ कि उस वक्त सर्वाधिक शांति होती है | अब यह शांति हमें २४ घंटे मिल रही है | इस शांति से प्रेम कीजिये, इस शांती को अपनाइये और आने वाले समय में भी ये शांति बनाए रखें | लॉकडाउन होने पर ये शांति भंग ना करें | आपको स्वाध्याय करने के लिये समय मिला है, इसे गँवाइयें नहीं | इसका भरपूर लाभ लें |

 

स्वयं श्रीकृष्ण से अर्थात नितीश भारद्वाज से हुई इस बातचीत से महाभारत हर समय में कितना relevant है, प्रासंगिक है, ये पता चलता है | जरूरत है इसे पहचानने की और अपने रोजमर्रा के जीवन में इसकी सीख अपनाने की |

- निहारिका पोल सर्वटे