जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी…!

    26-Nov-2020   
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आज का दिन इतिहास में काले अक्षरों से लिखा गया दिन है | आज ही के दिन मुंबई में २६/११ का हमला हुआ था,और हमारे देश ने कई जाबांज वीर पुलिस अफसरों को खो दिया था | आज ही के दिन शहीद हेमंत करकरे, विजय सालस्कर, संदीप उन्नीकृष्णन, और उन्ही के जैसे कई जाबाज वीर शहीद हुए थे | आज ही के दिन कसाब का नाम हमारी जुबान पे आया था | और आज ही के दिन भारत के इतिहास का एक भयंकर अध्याय प्रारंभ हुआ था |


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इनते वर्ष पीछे मुड कर देखने पर हमें क्या नजर आता है ? हमने २६/११ से क्या सीखा ?

१. सुरक्षा सर्वतोपरि है : २६/११ ने हमारी आँखएं खोल दी | तब तक शायद हम सुरक्षा को लेकर इतने सतर्क नहीं थे, लेकिन २६/११ ने हमें बताया कि हमारे देश की सुरक्षा ही सर्वतोपरि है | यदि हमने सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया, भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिये पैसा खर्च नहीं किया, और सबसे अच्छी सुरक्षा भारत को नहीं दी, तो ऐसे एक नहीं कई २६/११ हो सकते हैं |


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२. सरकार का निकम्मापन जनता पर भारी पडा : २६/११ ने एक बात हमें अवश्य बताई कि यदि देश में सक्षम सरकार है, तो हम बडे से बडे संकट का सामना आसानी से कर सकते हैं, लेकिन यदि हमारे देश में निकम्मी और भ्रष्टाचारी सरकार है, जो भ्रष्टाचार के लिये देश की सुरक्षा को भी भूल जाए, जो आपसी संबंधों के कारण ऐसी घटना के बाद कठओर निर्णय ना ले सकें, तो जनता के लिये ये कितना हानिकारक हो सकता है | आज २६/११ को लगभग १२ साल हो चुके हैं, २६/११ होने के ४ साल बाद कसाब को फाँसी दी गई | इन ४ सालों तक कसाब को हमारे देश की तत्कालीन सरकार नवाबों की तरह रखकर बिर्यानी खिला रही थी | आखिरकार उसकी फाँसी हुई | तब तक शायद हमें इस बात का महत्व भी नहीं समझा होगा, लेकिन जब देश में ऊरी और पठानकोट में आतंकवादी हमला हुआ और देश के कई वीर सैनिक मारे गए, उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समय ना गँवाते हुए, पूरी तैय्यारी के साथ ही बदले स्वरूप ऐतिहासिक सर्जिकल स्ट्राईक की | और तब हम जान पाए, की देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड करने पर सरकार को किस प्रकार से बदला लेना चाहिये | सरकार का सक्षम और समर्थ होना अत्यावश्यक है |


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३. मीडिया की मर्यादा : २६/११ का सबसे चर्चित मुद्दा था, मीडिया द्वारा हर पल की खबर देने के चक्कर में आतंकवादियों को पूरी जानकारी देना | अंतत: जब मीडिया को आदेश दिये गए कि वे कुछ समय के लिये लाईव्ह प्रसारण रोक दें, तभी जाकर पूरा मिशन कामयाब हो सका, लेकिन मीडिया चॅनल्स की इस लापरवाही के कारण हमारे देश के कई वीर जवानों को और सामान्य नागरिकों को अपनी जान गँवानी पडी | और ये सौदा बहुत ज्यादा घाटे का रहा | आज भी जब कुछ मीडिया चॅनल्स सुरक्षा के मुद्दों पर खुल कर प्रसारण करते हैं, तो मन में डर पैदा होता है | २६/११ ने हमें मीडिया को कितना मर्यादित होना चाहिये, इसकी जानकारी दी | जो शायद हमारे लिये सबसे जरूरी थी |


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४. सक्षम नेतृत्व देश को मजबूत बनाता है : २६/११ के वक्त देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा लिये गए निर्णय, किया गया काम बताता है, कि यदि उस वक्त देश में सक्षम नेतृत्व होता, तो शायद दुश्मन की इतनी हिम्मत ना होती कि वे हमारे ही घर में घुस कर हमारे ही लोगों को मार गिराए | इस वाकये ने हमें बताया, कि देश का नेतृत्व यदि सक्षम हो, उसकी छवि यदि मजबूत हो, और ऐसी हो कि दुश्मन भी जाने कि ‘यदि हमने इससे पंगा लिया, तो हमारी खैर नहीं’ तभी आतंकवादी कुछ करने से डरेंगे, देश के नेतृ्त्व का ध्यान रखते हुए दस बार सोचेंगे | आज देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व है, उनकी छवि ऐसी है कि यदि दुश्मन ने कुछ किया तो वे बदले स्वरूप सर्जिकल स्ट्राइक, एअर स्ट्राइक कुछ भी कर सकते हैं | वे ऐसी बातों पर चुप कभी नहीं बैठेंगे | देश में सक्षम नेतृत्व का होना अत्यावश्यक है |


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२६/११ ने हमें हमारी जिंदगी का महत्व बताया, हमारे देश का महत्व बताया, देश की सुरक्षा का महत्व बताया | वो एक घटना हमें बहुत कुछ सिखा कर गई | हम भगवान से प्रार्थना करते हैं, कि हमारे देश में फिर कभी ऐसा कुछ ना हो जिसे हमें काले दिवस के रूप में मनाना पडे | आज ही के दिन १२ वर्ष पूर्व शहीद हुए सभी वीर जाबाजों को हमारी श्रद्धांजली | वो दिन तो गया, लेकिन कई जजबात मन में छोड कर गया….


- निहारिका पोल सर्वटे