वैसे तो देश में जाति पाति की कोई जगह होनी ही नहीं चाहिये | लेकिन फिर भी देश में अभी जो हो रहा है, उसकी ओर सभी का ध्यान खींचना आवश्यक आहे | जब भी इस देश में कोई भी जुर्म होता है, देश का एक हिस्सा सबसे पहले ये देखता है कि जिसके साथ हादसा हुआ उसका धर्म क्या था, जाति क्या थी ? यदि उनके मुताबिक उत्तर मिला, तो वे इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं, और यदि नहीं तो शांत बैठ जाते हैं, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं | आज राजस्थान में एक मंदिर के पुजारी को जिंदा जला दिया गया, ६ लोगों के द्वारा | साधारणत: यहाँ पर जाति का उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन फिर भी जब हर बार जात पात का उल्लेख होता है, तो बता दें कि हमला करने वाले सभी ६ लडके विशिष्ट जाति से थे, और जिंदा जला दिये गए पुजारी ‘पंडित’ थे | आप देख रहे हैं ना जात पार का गहरा समुंदर ?
जो गए उनकी गलती केवल इतनी थी कि वे संत थे, पुजारी थे, उनका नाम आसिफ या अशरफ नहीं था, उनका संबंध किसी एक जाति विशेष से ना होकर दूसरी जाति विशेष से था | यह एक भयंकर सत्य है, लेकिन हम इसे जितनी जल्दी मान लें, उतना हमारे लिये अच्छा होगा | सहिष्णुता की जिम्मेदारी की उम्मीद केवल एक वर्ग विशेष से क्यों की जाए, क्या सहिष्णुता दिखाने की जिम्मेदारी हर किसी को नहीं लेनी चाहिये ? जैसे कि #BlackLifeMatters #DalitLifeMatters #MuslimLifeMatters बस वैसे ही #HinduLifematters #BrahminLifeMatters #AllLivesMatters
समय कठिन है | आज एक मॅसेज पर बवाल खडे हो जाते हैं | ऐसे में भारत जैसे देश में एक मंदिर के पुजारी को जिंदा जला दिया जाता है, और देश खामोश है | ना कोई ट्रेंडिंग हॅशटॅग, ना कोई प्रोटेस्ट ना कुछ | आप ही समझ जाईये कि समाज किस तरह से दो हिस्सों में बँटा है | आपको तय करना है आप किस हिस्से का हिस्सा बनना चाहेंगे |